धान की नर्सरी में खरपतवार उगने से रोकने के लिए यहां पर तीन दवाओं के नाम उनके इस्तेमाल के तरीके के बारे में बताएं गएँ है-
धान की नर्सरी में खरपतवार की समस्या
धान की नर्सरी में अगर खरपतवार यानी की घास उग आती है तो किसानों को कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती है, जैसे कि उनकी मुख्य फसल को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता। फसल कमजोर होती है। उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। जिससे पैदावार घटने की आशंका रहती है, खरपतवार धान की फसल से प्रतिस्पर्धा करती हैं जो खाद, पानी, धूप जो भी उन्हें मिलता है वह सब आधा हिस्सा खरपतवार ले लेते हैं जिससे मुख्य फसल कमजोर होती है तो चलिए बताते हैं खेत में खरपतवार नाशक के नाम, इस्तेमाल कर तरीका है।
धान की नर्सरी के लिए खरपतवार नाशक
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार धान की नर्सरी के लिए तीन खरपतवार नाशक दवाइयां के बारे में जानें-
- यूपीएल की “SAATHI”
- एचपीएम की “अल-विदा”
- जेयू एग्री साइंसेज का एक शाकनाशी “लाठी”
इन दवाइयां में एक चीज पाइराज़ोसल्फ्यूरॉन एथिल 10% WP है जो कि प्रणालीगत शाकनाशी है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से चावल की फसलों में खरपतवार नियंत्रण के लिए किया जाता है। जिससे खरपतवार का सफाया किया जा सकता है, उगने से रोका जा सकता है आप किसी भी कंपनी की दवा ले सकते हैं जिसमें यह हो।
इस्तेमाल का तरीका
धान की नर्सरी में खरपतवार उगने से रोकने के लिए इन दवाओं का छिड़काव करना होगा। जिसमें बुवाई के 72 घंटे भीतर इन शाकनाशी दवाओं का छिड़काव किया जाता है। जिसका तरीका यह होता है कि आप खेत में पानी भर कर रखें और फिर दो-तीन लीटर पानी में इस दवाई का घोल बनाकर खेत में छिड़क दे। इसके अलावा स्प्रे मशीन की भी मदद से छिड़काव कर सकते हैं या फिर रेत में यह दवाई मिलाकर खेत में हर जगह छिड़क सकते हैं।
इन दवाइयां का एक पाउच 20 ग्राम का आता है। जिससे बताया जाता है कि 10 बिस्सा की जमीन में नर्सरी में छिड़काव किया जा सकता है। इस तरह यह अच्छा विकल्प है, खरपतवार का सफाया करने के लिए।