जुलाई, अगस्त और सितंबर में इस सब्जी की खेती की जा सकती है। मंडी भाव 40 से ₹60 तक मिल जाता है और उत्पादन डेढ़ सौ से 200 क्विंटल तक-
जुलाई में सब्जी की खेती
इस समय बढ़िया मौसम है, बस कुछ बातों का ध्यान में रखकर कई तरह की किसान सब्जियों की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। इसीलिए आज जानेंगे कि जुलाई में कौन सी सब्जी की खेती कर कर अच्छा मंडी भाव ले सकते हैं और उत्पादन भी बढ़िया होगा। यहां पर आपको उन्नत किस्म की वैराइटी भी बताई जाएगी। जिसकी खेती करके फलों की गुणवत्ता अच्छी मिलेगी, कीमत भी अच्छी मिलेगी, तो चलिए बताते हैं वह कौन सी फसल है, खेती कैसे करनी है।
इस सब्जी से मिलेगा तगड़ा मंडी भाव
दरअसल, यहां पर तोरई की खेती की बात की जा रही है। वह जो देसी तुरई आती है, जिसमें धारियां होती हैं। उसकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। जुलाई, अगस्त में भी तुरई की एक खेती कर सकते हैं। एक एकड़ में 150 से 200 क्विंटल तक उत्पादन मिल जाता है। लेकिन इसके लिए बढ़िया हाइब्रिड किस्म का चुनाव करें। मंडी भाव बहुत ज्यादा गिरेंगे मतलब कि अगर मान लीजिए कि आवक बहुत ज्यादा हो गई है, अधिकतर किसानों ने तुरई लगा दिया तो भी ₹25 तक भाव मिलता है।
बढ़िया वैरायटी के बीज
तुरई की खेती से ज्यादा आमदनी लेने के लिए बढ़िया वैरायटी के बीज का चयन करना चाहिए। जिसमें ‘ईस्ट वेस्ट की नागा’ वैरायटी अच्छी है तथा ‘ईस्ट वेस्ट की वैल्यू एलयू 730’ का भी चयन कर सकते हैं। क्लाउड की विनायक वैरायटी भी बढ़िया मानी जाती है। जिसकी खेती करके किसान भाई अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। फलों की क्वालिटी भी बेहतर होगी।
खेती का तरीका
बरसात में तुरई की खेती कर रहे हैं तो मंडप विधि से खेती करें। जिससे बारिश में फल खराब ना हो। इसके अलावा जब चार-पांच दिन धूप निकल आये, उसके बाद खेत की तैयारी करें, 5 ट्राली गोबर की पुरानी खाद डालें। ध्यान रखें खेत में पानी रुकना नहीं चाहिए। जल निकासी के बढ़िया व्यवस्था हो, गहरी जुताई करें।
रासायनिक खाद की बात करें तो डीएपी 50-60 किलो, यूरिया 20-25 किलो, एमओपी 30 से 35 किलो डाल सकते हैं। साथ ही एक फंगीसाइड जरूर डालें। दो बेड के बीच की दूरी 7 फीट और दो बीजों के बीच की दूरी 1 फिट रखें। खरपतवार की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो 1600 खर्च करके प्लास्टिक मल्च लगा ले। 20 से 21 माइक्रोन की प्लास्टिक मल्च बढ़िया रहती है। इससे मिट्टी में नमी भी बनी रहती है। पानी सीधा नहीं गिरेगा मिट्टी में।