भारत भर में गेहूं की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। गेहूं की खेती 75 फ़ीसदी से ज्यादा लोग करते हैं। इतना ही नहीं भारतवर्ष में धान के साथ-साथ गेहूं की खेती भी बहुत बड़े स्तर पर की जाती है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य गेहूं के प्रमुख उत्पादक राज्य कहे जाते हैं। इन सभी राज्यों में तगड़े स्तर पर गेहूं की बुवाई की जाती है।
किसानों को इस बात का ज्ञान होना बहुत जरूरी होता है कि आपको पहली सिंचाई के बाद में ऐसी अवस्था में फसलों पर खास ध्यान रखना होता है। इस समय पहली सिंचाई का दौर चल रहा है ऐसी अवस्था में गेहूं के पौधे कल्ले बनाने के लिए बहुत उपयुक्त माने जाते हैं। ऐसे में आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना होगा। आइए इसके बारे में जानते हैं।
पहली सिंचाई का खास महत्व
गेहूं की फसल में पहली सिंचाई का अहम रोल माना जाता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि गेहूं की फसल में सिंचाई सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। आपको इस बात का खास ध्यान रखना होता है कि गेहूं की फसल में 21 से 25 दिनों में पहली सिंचाई करना होगा। अगर आप सही समय पर सिंचाई करते हैं तो गेहूं के पौधे में कल्ले तेजी से निकलेंगे। सिंचाई उतनी ही करें जिससे कि खेत में पानी जमा ना हो सके। लेकिन अगर गलती से सिंचाई ज्यादा हो जाती है तो आपको जल निकासी का प्रबंध तुरंत कर लेना चाहिए।
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गेहूं में उर्वरक का इस्तेमाल
गेहूं के पौधे के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं पोषक तत्व जो इसको बढ़ने में बहुत ज्यादा सहायता करते हैं। सिंचाई के लगभग आपको 5 से 6 दिन बाद में खेत में हल्की-हल्की नमी हो जब पर टिकने लगे तो ऐसे में नाइट्रोजन यानी कि यूरिया का छिड़काव आपको खेत में कर देना है। आपको 1 एकड़ जमीन में 40 से 50 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करना चाहिए। यूरिया में मिलने वाली नाइट्रोजन पौधे को हरा भरा करती है और इससे प्रभाव यह पड़ता है कि कल्ले तेजी से निकलने लगते है।
गेहूं में यूरिया का महत्व
गेहूं की फसल के लिए यूरिया का बहुत खास महत्व माना जाता है। यूरिया के साथ में ऑर्गेनिक खाद बायोबीटा का भी इस्तेमाल आपकी फसल को ग्रोथ करने और पोषक तत्व प्रदान करने में बहुत मदद करता है। अगर आप एक एकड़ जमीन में 5 किलोग्राम बायोबीटा यूरिया के साथ मिला करके फसल में छिड़काव कर देते हैं तो फसल तेजी से ग्रोथ करती है।
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आपको बता दे बायोबीटा में सल्फर, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, कैल्शियम, कोबाल्ट और जिंक जैसे कई सारे पोषक तत्व इसमें पाए जाते हैं। इतना ही नहीं बायोबीटा का इस्तेमाल मिट्टी में मौजूद रहने वाले पोषक तत्वों को सक्रिय कर देता है साथ ही पौधे को तेजी से बढ़ाने में मदद करता है और कल्लो की संख्या भी तेजी से बढ़ने लगती है।
बायोबीटा के अभाव में करे इन उर्वरकों का इस्तेमाल
गेहूं की फसल में डालने के लिए किसानों के पास अगर बायोबीटा उपलब्ध नहीं है। तब ऐसे में किसानों को ऑप्शन के तौर पर जिंक सल्फेट, फेरस सल्फेट और मैग्नीशियम सल्फेट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इतना ही नहीं इसके साथ ही किसान 500 ग्राम जिंक सल्फेट और 500 ग्राम फेरस सल्फेट इसके साथ ही इतनी ही मात्रा में मैग्नीशियम सल्फेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
तीनों ही उर्वरक पोषक तत्वों को 100 लीटर पानी में घोल बना कर शाम के वक्त गेहूं की फसल में स्प्रे कर देना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे पौधे में तेजी के साथ बढ़त होती है। इस प्रकार आप गेहूं की फसल में उर्वरक का इस्तेमाल करके फसल की ग्रोथ बढ़ा सकते हैं।
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