इलाहाबादी लाल फल की खेती से बढ़ेगी आमदनी, कम खर्च में बंपर पैदावार, इस खास फसल की खेती करके छाप सकते हो पैसा, प्रयागराज विशेष प्रजाति की अमरूद के लिए जाना जाता है।इस विशेष जगह के अलावा पूरे भारत में सुर्खा अमरूद का उत्पादन कहीं नहीं होता है। यह अमरुद अपने रंग और स्वाद के चलते भारत ही नहीं विदेशों में भी धमाल मचाता है।
इलाहाबादी लाल फल की खेती
अभी तक हम सब सामान्य अमरुद खाए थे। आज सुर्खा अमरुद के बारे में जानते है। एक पेड़ में 500 से 600 तक फल होते है ये एक अमरुद की प्रजाति है। सुर्खी अमरूद की तीन ऋतु में पैदावार होती है। जिसमें शरद ऋतु, बसंत ऋतु एवं वर्षा ऋतु होती है। ये फल सफेद की जगह गुलाबी होता है और छिलका सेब के लाल रंग की तरह होता है। ये देखने में कश्मीरी सेब जैसे दिखता है। ये फल मीठा होता है, इसमें कुछ बीज भी पाए जाते है। अमरुद दोनों ओर से थोड़ा दबा हुआ होता है।
GI टैग
इस फल को अंतर्राष्टीय पहचान मिली है। 2004 से कई चीजों में GI टैग देने की शुरुआत की गई है। दार्जिलिंग चाय सबसे पहला GI टैग का दर्जा प्राप्त है। 2007 में प्रयागराज के एक महत्वपूर्ण फल को भी GI टैग प्राप्त हुआ है। इस फल को GI टैग देने का मुख्य उद्देश्य इसकी मीठी खुशबू और लाजबाब स्वाद के लिए दिया गया है । जिसका नाम सुर्खा अमरूद है यह फल प्रयागराज को दुनिया में विशेष स्थान दिलाता है।भारत में सुर्खा अमरूद खेती और किसी प्रदेश में नहीं होता है।
सुर्खा अमरूद की प्रजातियां
सफेद अमरूद, लाल गूदेवाला, चित्तीदार, करेला, बेदाना, अमरूद सेबिया, सुरखा, श्वेता, पंत प्रभात, एल 39, संगम और ललित इसकी प्रमुख प्रजातियां है। । प्रयागराज और कौशांबी के बीच का जो क्षेत्र है, वह विशेष प्रजाति की अमरूद के लिए जाना जाता है।
सुर्खा अमरुद की मांग
यह अमरुद स्वाद और रंग से दुनिया भर में चर्चा का विषय है। ये फल विदेशो में भी धूम मचा रहा है।सुर्खा अमरुद को ओमान और सऊदी अरब के लोग भी मांगते है। इलाहाबादी अमरुद की कीमत 200 से 250 रूपये प्रति किलो बाजारों बिक रहा है।