प्रदेश के करीब 11 हजार किसानों को खेती की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिसमें 12 जिलों के किसानों का चयन होगा, चलिए प्राकृतिक खेती की पूरी योजना है-
11000 किसानों को ट्रेनिंग
किसान अगर खेती सही तरीके से करते हैं तो उन्हें उत्पादन अधिक मिलता है मेहनत कम हो जाती है, लागत भी कम हो जाती है। लेकिन आज सामान्य खेती की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि प्राकृतिक खेती की बात कर रहे हैं। जिसमें जैविक खाद, कीटनाशक हर चीज का इस्तेमाल किया जाता है और यह सेहतमंद खेती होती है।
जिसमें आपको बता दे कि झारखंड में 11000 किसानों को प्राकृतिक खेती की जानकारी दी जाएगी। उन्हें प्राकृतिक खेती कैसे करें इसकी ट्रेनिंग मिलेगी। जैसा कि आप जानते हैं केंद्र सरकार ने प्राकृतिक खेती को बजट में बढ़ावा दिया है। जिसके बाद विभिन्न राज्य सरकार है इस पर काम कर रही है। वहीं झारखंड में 12 जिलों के करीब 11000 किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी। यहां पर 44000 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती करने का लक्ष्य रखा गया है।

इन 12 जिलों के किसानों का होगा चयन
झारखंड के 12 जिलों के किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह 12 जिले नदी के किनारे हैं या प्राकृतिक खेती पहले से करते आ रहे हैं, उनके आधार पर चयनित किए गए हैं। जिन क्लस्टर में पहले से प्राकृतिक खेती हो रही है उनके किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। जिसमें गांव के नाम बता दे दुमका, हजारीबाग, देवघर, पलामू, गिरिडीह, साहिबगंज, रांची, लोहरदगा, गुमला, गढ़वा और पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम आदि हैं।
प्राकृतिक खेती करने पर किसानों को रासायनिक खाद कीटनाशक बाजार से नहीं खरीदना पड़ेगा। बल्कि वह घर पर आसपास की चीजों को मिलाकर तैयार कर सकेंगे या फिर सस्ते दामों पर खरीद सकेंगे। जिससे खेती की लागत कम होगी, पर्यावरण प्रदूषण नहीं होगा और जैविक तरीके से की गई खेती के अनाज की उचित कीमत भी मिलेगी।
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कृषि सखियां देंगी किसानों को प्रशिक्षण
कृषि सखियों द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण मिलेगा, दो कृषि सखी 125 किसानों को जानकारी देगी। यह कृषि सखियां पढ़ी-लिखी होंगी, जिन्हें प्राकृतिक खेती का करीब 1 साल का अनुभव होगा और वह उस क्षेत्र की रहने वाली होंगी। उनकी भाषा को समझती होंगी, बोल पाती होंगी। इसके अलावा आपको बता दे की प्रदान संस्था भी क्लस्टर निर्माण करेगी और कृषि विभाग की एजेंसी ओफ़ाज की तरफ से प्राकृतिक खेती करने के लिए किसानों को इससे जोड़ा जाएगा। इस तरह झारखंड में प्राकृतिक खेती का बोलवाला देखने को मिलेगा।

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