मध्य प्रदेश में टमाटर के भाव लगातार गिरते जा रहे हैं, किसी से किसानों को मुनाफा तो दूर लागत भी नहीं मिल रहा है, तो चलिए आपको बताते हैं इसका कारण-
टमाटर की खेती
टमाटर की खेती में पिछले साल किसानों को मुनाफा हो रहा था और टमाटर की खेती करने वाले कई किसान एक सीजन में ही लाखों रुपए की कमाई कर लेते हैं। लेकिन टमाटर के भाव अच्छे मिले, तभी टमाटर के भाव जब गिर जाते हैं तो किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान होता है। टमाटर एक ऐसी फसल है जिसके भाव कभी आसमान में होते हैं तो कभी लागत भी उसकी खेती की नहीं निकल पाती है।
जिसमें इस समय मध्य प्रदेश के किसानों को अभी यही दिक्कत आ रही है। मध्य प्रदेश में आपको बता दे कि टमाटर के भाव लगातार गिर रहे है। सब्जी मंडी में टमाटर की कीमत ₹2 प्रति किलो हो गई है। उज्जैन जिले के फाजलपुर में किसानों को टमाटर की खेती में भारी नुकसान हो रहा है।
2024 में ₹20 किलो था टमाटर
टमाटर की कीमत अच्छी मिलने के कारण ही टमाटर की खेती में किसान हाथ आजमाते आते हैं। टमाटर की खेती से एक सीजन में ही इतना मुनाफा कमा लेते हैं कि लंबे समय तक फुर्सत हो जाते हैं। जिसमें पिछले साल 2024 में टमाटर के भाव 15 से लेकर 20 रु किलो गए थे। जिसकी वजह से टमाटर की खेती में किसानों को फायदा हुआ था। वही कैरेट की बात करें तो ₹500 का टमाटर 2024 में जा रहा था। लेकिन इस साल कीमत डेढ़ सौ रुपए कैरेट है और ₹2 किलो। चलिए आपको बताते हैं खेती में आने वाली लागत।

टमाटर की खेती में लागत
टमाटर की खेती के बारे में अधिकतर किसानों को जानकारी होती है। इसमें लागत के हिसाब से कीमत इस समय बहुत कम लग रही है। बता दे की छोटा टमाटर ₹2 किलो और बड़ा टमाटर ₹5 किलो जा रहा है। जिससे किसानों को बहुत ज्यादा आर्थिक नुकसान हो रहा है। किसानों का कहना है कि प्रति कैरेट ₹70 का भाड़ा लगता है, और ₹80 प्रति कैरेट टमाटर की खेती में खर्च आता है।
इस तरह कीमत डेढ़ सौ रुपए कैरेट जा रही है। जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। जिससे किसान पवन का कहना है कि वह आने वाले समय में टमाटर की खेती नहीं करेंगे। क्योंकि इसमें भारी नुकसान हुआ है। खाद, बीज, जुताई, फर्टिलाइजर, कीटनाशक आदी में लंबा खर्चा आता है। लेकिन किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
टमाटर की कीमत कम होने का करण
टमाटर की कीमत बहुत कर गिर रही है। जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। इसका प्रमुख कारण यह है की डिमांड से ज्यादा मंडी में आवक है। जितने ग्राहक नहीं है उतने टमाटर है तो बिक्री कहां से होगी। इस तरह जब जब टमाटर की कीमत उसकी मांग और पूर्ति के नियमों पर नहीं खरी उतरती है तो किसानों को नुकसान हो जाता है।