बैंगन की पैदावार बढ़ाने के लिए अपनाए कुछ खास फॉर्मूले, फूलों से लद जाएगा पूरा पौधा

बैंगन की पैदावार बढ़ाने के लिए अपनाए कुछ खास फॉर्मूले, फूलों से लद जाएगा पूरा पौधा। बैंगन एक महत्वपूर्ण सब्जी फसल है और इसकी अच्छी पैदावार के लिए कुछ खास देखभाल और तकनीकों की जरूरत होती है। बैंगन की फसल में पैदावार बढ़ाने के आसान और असरदार नुस्खे बताते है। आइए इसके बारे में विस्तार से बताते है।

सही किस्म का चुनाव

बैंगन की अच्छी किस्म का चुनाव करना बहुत जरूरी है। जैसे – पूसा कृषी किंग, पूसा श्यामला, अर्का नीलकंठ किस्मे सही है।

हायब्रिड किस्में जैसे – हाइब्रिड किस्मों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और फल भी बड़े व अधिक मिलते हैं।

मिट्टी और खेत की तैयारी

बैंगन के लिए हल्की दोमट से लेकर भारी दोमट मिट्टी अच्छी होती है जिसमें जल निकास अच्छा हो। खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें और आखिरी जुताई में गोबर की अच्छी सड़ी खाद डालें। खेत को भुरभुरा और समतल बनाएं जिससे जड़ें अच्छी तरह फैल सकें।

यह भी पढ़े: गेहूं की कीमतों का ताजा हाल, आज की मंडी से लाइव अपडेट

रोपा तैयार करना

पौधशाला में बीज बोने से पहले बीजों को किसी फफूंदनाशी से उपचारित करें। बीजों को 10-12 सेंटीमीटर दूरी पर पंक्तियों में बोएं और हल्की सिंचाई करें। 25-30 दिन में पौध रोपाई योग्य हो जाती है।

समय पर रोपाई

खरीफ के लिए जून-जुलाई में, रबी के लिए अक्टूबर-नवंबर में रोपाई करें। पौधों को खेत में 60×60 सेमी की दूरी पर लगाएं ताकि पौधों को भरपूर पोषण और रोशनी मिल सके।

सिंचाई का सही प्रबंधन

बैंगन की फसल में नमी बनी रहनी चाहिए लेकिन जलभराव से बचाएं। गर्मियों में 6-7 दिन में और सर्दियों में 10-12 दिन में सिंचाई करें। फूल और फल लगने के समय पर्याप्त सिंचाई से फल गिरने की समस्या नहीं होती और उत्पादन भी बढ़ता है।

मल्चिंग का प्रयोग

प्लास्टिक या सूखे पत्तों से मल्चिंग करने से नमी बनी रहती है और खरपतवार कम होते हैं। इससे पौधों को पोषक तत्वों की कमी नहीं होती और फलों का विकास अच्छा होता है।

यह भी पढ़े: सोयाबीन के भाव में तेजी या मंदी? जानें एक्सपर्ट्स की राय और बाजार ट्रेंड

टॉपिंग और कटाई-छटाई

पौधे की ऊपरी शाखाओं को समय-समय पर काटें ताकि नए शाखाएं निकलें। टॉपिंग से फूल और फलों की संख्या बढ़ती है। सूखी और रोगग्रस्त पत्तियों या शाखाओं को तुरंत काटकर नष्ट करें।

कीट और रोग प्रबंधन

भूरे भृंग से बचाव के लिए नीम ऑयल का छिड़काव करें। जैविक कीटनाशक जैसे बेसिलस थुरिंजिएन्सिस या ट्राइकोडर्मा का प्रयोग करें। पीले स्टिकी ट्रैप या फेरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करें। रोग नियंत्रण के लिए 15-20 दिन में एक बार फफूंदनाशी का छिड़काव करें।

हार्मोन स्प्रे का प्रयोग

फल लगने की अवस्था में एनएए 10-15 ppm या गिबरेलिन 20 ppm का छिड़काव करने से फल गिरने की समस्या कम होती है और फल बड़े होते हैं।

समय पर कटाई

बैंगन को जब फल चमकीले और मध्यम आकार के हो जाएं तब तोड़ना चाहिए। देर से तोड़ने पर फल सख्त और बीज कठोर हो जाते हैं।

यह भी पढ़े: प्याज मंडी रेट आज, जानें देशभर की मंडियों में प्याज का ताजा हाल

नमस्ते, मैं चंचल सौंधिया। मैं 2 साल से खेती-किसानी के विषय में लिख रही हूं। मैं दुनिया भर की खेती से जुड़ी हर तरह की जानकारी आप तक पहुंचाने का काम करती हूं जिससे आपको कुछ लाभ अर्जित हो सके। खेती किसानी की खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद