सोने-चांदी से भी कीमती है ये पेड़, लकड़ी-पत्ती-फूल आयुर्वेद में सबका है खास महत्त्व पर्वतीय क्षेत्रों तक ही सिमट कर रह गया है अब, जाने नाम

On: Thursday, September 4, 2025 6:43 PM
सोने-चांदी से भी कीमती है ये पेड़, लकड़ी-पत्ती-फूल आयुर्वेद में सबका है खास महत्त्व पर्वतीय क्षेत्रों तक ही सिमट कर रह गया है अब, जाने नाम

इस पेड़ की मांग दुनिया भर में बहुत होती है लेकिन ये अब पर्वतीय क्षेत्रों में ही ज्यादा देखने को मिलता है। तो चलिए इस लेख के माध्यम से इसके बारे में विस्तार से जानते है।

सोने-चांदी से भी कीमती है ये पेड़

आज हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बता रहे है जो प्राकृतिक रूप से औषधीय तत्वों से भरपूर होता है इस पेड़ की लकड़ियों की मांग बाजार में बहुत होती है आज कल ज्यादा तर शीशम महोगनी मालाबार नीम जैसे पेड़ों के बारे में तो सब बहुत अच्छे से जानते है लेकिन इस पेड़ के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। इस पेड़ की लकड़ियों का इस्तेमाल कई कई चीजों को बनाने में बहुत होता है क्योकि इसकी लकड़ी बहुत ज्यादा सख्त, मजबूत और टिकाऊ होती है। इसकी लकड़ी से बनी चीजें सालों साल पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। आयुर्वेद में इसकी छाल, फूल और पत्ती का बहुत महत्त्व होता है। ये पेड़ भारत के कई हिस्सों में पाया जाता है।

क्या है इस पेड़ का नाम

हम आपको तिनसा के पेड़ के बारे में बता रहे है इसे तिनिश, संदन, पानन, काला पलाश, और तिवस जैसे नामों से भी जाना जाता है इस पेड़ में पतझड़ के बाद बहुत ज्यादा खूबसूरत और आकर्षित फूल खिलते है जो दिखने में बहुत मनमोहक होते है इस पेड़ की ऊँचाई लगभग 30-50 फीट तक हो सकती है।

इस पेड़ का उपयोग

तिनसा की पेड़ की लकड़ी, फूल, छाल, पत्ती सब बहुत उपयोगी होती है इसकी लकड़ी का इस्तेमाल कृषि उपकरण, बैलगाड़ी के धुरे और समुद्री प्लाईवुड जैसी कई अन्य वस्तुओं को बनाने में होता है। इसकी छाल से रस्सी भी बनती है। इसके फूल पत्तियों का उपयोग आयुर्वेद चिकित्सा में घाव भरने, बुखार, वायरल जैसी कई समस्याओं को ठीक करने में किया जाता है इसे तने से निकलने वाले लाल रंग के कसैला गोंद का उपयोग औषधीय बनाने में होता है। तिनसा के पेड़ की लकड़ी मार्केट में महंगी बिकती है।

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