अगर गेहूं के किसान अच्छी वैरायटी का चयन करना चाहते हैं, तो चलिए यहां पर चार बढ़िया किस्मों की जानकारी देते हैं। इन बीजों को लगाकर किसान अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।
गेहूं की खेती का समय
अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका है और गेहूं की खेती का भी समय आ गया है। अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से लेकर नवंबर के तीसरे हफ्ते तक किसान गेहूं की खेती करते हैं। अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानों को समय के साथ-साथ वैरायटी और बेसल डोज़ पर भी ध्यान देना चाहिए। इसी कारण आज गेहूं की चार बेहतरीन वैरायटी के बारे में जानेंगे, जिन्हें पिछले साल जिन किसानों ने लगाया था, उन्हें अच्छा उत्पादन मिला था।
गेहूं के बढ़िया बीज
इस समय किसान गेहूं के बढ़िया बीजों की तलाश में रहते हैं। आप नीचे दी गई चार वैरायटी का चयन कर सकते हैं, जिनके बारे में जानकारी इस प्रकार है-
श्रीराम 303
श्रीराम 303 गेहूं की एक अच्छी वैरायटी है। इसकी खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। अगर किसान इसका चयन करते हैं, तो एक एकड़ से 28 से 35 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं। कई किसानों को पिछले साल इससे 30 क्विंटल तक उत्पादन आराम से मिला था। इसकी रोटी स्वादिष्ट होती है और इस गेहूं का बाज़ार में अच्छा भाव भी मिलता है। यह गेहूं वजनदार होता है और रतुआ रोग प्रतिरोधी भी है। यह किस्म लगभग 130 दिन में तैयार हो जाती है।

एचडी 3385
एचडी 3385 भी एक बेहतरीन गेहूं की वैरायटी है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित किया गया है। यह एक एकड़ में 30 से 32 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती है और लगभग 135 दिन में तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर में किसान इससे 73 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं। यदि परिस्थितियाँ अनुकूल रहीं, तो यह वैरायटी 80 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देने की क्षमता रखती है।
पूसा तेजस
पूसा तेजस भी एक अच्छी किस्म है। इसकी खेती करके किसान एक एकड़ से 30 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं। यह फसल लगभग 125 दिन में तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी हो सकती है। यह गेहूं प्रोटीन, आयरन और जिंक से भरपूर होता है। यह किस्म काले, भूरे रतुआ रोगों से प्रतिरोधी है। इसके दाने बड़े, कड़े, चमकदार और वजनदार होते हैं।
GW 322
GW 322 गेहूं की एक और अच्छी वैरायटी है। इसकी खेती में भी किसानों को लाभ मिलता है। यह प्रति हेक्टेयर 60 से 65 क्विंटल तक उत्पादन देने की क्षमता रखती है। इसे कम सिंचाई में भी उगाया जा सकता है, और केवल तीन सिंचाइयों में ही अच्छा उत्पादन मिल सकता है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसान इस वैरायटी का चयन कर सकते हैं।

नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको ‘काम की खबर’ दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद













