धान की खेती के लिए पानी की कमी से जूझ रहे हैं, तो आइए आपको धान की शानदार किस्म के बारे में जानकारी देते हैं, जिसमें कम पानी की जरूरत होती है-
धान की खेती में सिंचाई
धान की फसल को अधिक पानी का उपयोग करने वाली फसलों में से एक माना जाता है, इसे नियमित सिंचाई की जरूरत होती है, एक खेत में 5 से 7 सेंटीमीटर पानी का स्तर बनाना पड़ता है, एक हेक्टेयर में करीब 15 बार सिंचाई करनी पड़ती है, इस तरह जहां भूजलस्तर नीचे गिर रहा है और पानी की समस्या है, तो किसान धान की खेती को लेकर चिंतित हो जाते हैं और राज्य सरकार भी किसानों से धान की उन किस्मों का चयन करने के लिए कहती है जो कम पानी में अधिक उत्पादन देती हैं।
जैसे पंजाब में हाइब्रिड धान और पूसा 44 किम पर प्रतिबंध लगा दिया गया है क्योंकि यह अधिक पानी लेती है, जिसमें पंजाब के कुछ किसान अब बासमती लगाने लगे हैं, तो आइए आपको उस किस्म के बारे में बताते हैं, जिसकी कीमत किसानों को ₹5000 प्रति क्विंटल मिलती है।

धान की यह किस्म ₹5000 प्रति क्विंटल है
पंजाब में पानी की समस्या को देखते हुए किसान बासमती चावल लगा रहे हैं क्योंकि इसके चावल देखने में सुन्दर और खुशबूदार होते है इतना ही नही इसकी मांग देश के साथ-साथ विदेशों में भी है और अच्छी कीमत भी मिलती है, जिसमें बताया जा रहा है कि 2023-24 में पंजाब में बासमती चावल का उत्पादन 26 लाख टन देखा गया, जबकि 2024-25 में यह बढ़कर 32 लाख टन हो गया है। इस तरह धान की खेती में बासमती की किस्म बढ़ रही है।
जिसमें बासमती की मुख्य किस्म 1121 का दाम किसानों ने ₹5000 प्रति क्विंटल मिला है, जिसके चलते इस साल बासमती की कोई दूसरी किस्म नहीं लगाई जा रही है। बासमती धान की 1121 किस्म के अलावा 1401 के साथ 1509, 1718 और 1885 जैसी अन्य किस्में भी हैं, जो कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देने की क्षमता रखती हैं।
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धान बोने का नया तरीका
धान बोने का तरीका बदलकर किसान पानी की समस्या से भी निपट सकते हैं। बताया जा रहा है कि चावल की सीधी बुवाई यानी डीएसआर तकनीक से पानी की बचत होगी और इससे खेती भी आसान होगी, लागत भी कम आएगी। यहां सीधी बुवाई की जाती है, जिससे अन्य खर्चे बच जाते हैं।
अगर डीएसआर तकनीक की तुलना पारंपरिक रोपाई से की जाए तो इसमें समय, श्रम और पानी की कम जरूरत होगी। इससे किसानों की लागत कम होगी और उत्पादन भी अधिक होगा।
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