धान की ये किस्म बहुत ज्यादा किफायती होती है इसकी मांग देश विदेशों में भी बहुत ज्यादा संख्या में होती है इसकी खेती से किसान बहुत शानदार मुनाफा कमा सकते है क्योकि ये पारंपरिक समान्य धान की तुलना में ज्यादा महंगा बिकता है। तो चलिए इसके बारे में विस्तार से समझते है।
बासमती से भी महंगा और सुगंधित है ये चावल
धान की ये किस्म की खेती किसानों के लिए बहुत फादेमंद होती है इसमें पोषक तत्व का बहुत ज्यादा अच्छा स्रोत होता है जो इसे अधिक पौष्टिक बनाता है इसमें जिंक, उच्च प्रोटीन और आयरन की मात्रा अन्य धान की तुलना में अधिक होती है इसके औषधीय गुणों के कारण इसकी विदेशों में भी मांग बहुत है। इसका सिंगापुर, दुबई और जर्मनी जैसे देशों में निर्यात किया गया है। ये चावल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है इसलिए इसका सेवन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी उपयुक्त माना जाता है क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। हम बात कर रहे है धान की काला नमक किरण किस्म की ये धान की एक उन्नत किस्म है ये पारंपरिक काले नमक चावल की तरह ही अपनी उच्च गुणवत्ता और स्वाद के कारण लोकप्रिय है। लेकिन आपको बता दें ये काला नमक धान से अलग है क्योंकि इसकी भूसी का रंग काला होता है और चावल सफेद होता है। इसकी कीमत बासमती चावल कई गुना अधिक होती है

धान की काला नमक किरण किस्म
धान की काला नमक किरण किस्म व्यावसायिक खेती के लिए सर्वोत्तम होती है। ये अत्यधिक सुगंधित, मुलायम एवं स्वादिष्ट होता है इसकी खेती के लिए उचित जल धारण क्षमता वाली मध्यम से भारी, कार्बनिक पदार्थों से भरपूर मिट्टी सर्वोत्तम होती है। इसकी खेती के लिए पहले नर्सरी में बीज बोए जाते है और फिर पौधे तैयार होने पर रोपाई की जाती है।प्रति एकड़ की नर्सरी तैयार करने के लिए लगभग 7 से 8 किलो बीज पर्याप्त होते है। इसकी खेती में जीवामृत, घन जीवामृत और वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करना चाहिए। बुवाई के बाद धान की काला नमक किरण किस्म की फसल लगभग130–135 दिन में तैयार हो जाती है।
कितना होगा मुनाफा
धान की काला नमक किरण किस्म से न केवल ज्यादा उत्पादन प्राप्त होता है बल्कि ये मार्केट में बहुत महंगा भी बिकता है एक एकड़ में धान की काला नमक किरण किस्म की खेती करने से कम से कम 24 से 25 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है ये मार्केट में 150 से 200 रुपए प्रति किलो के भाव से बिकता है आप इसकी खेती से एक एकड़ में 5,00,000 रुपए की कमाई आराम से कर सकते है इसकी खेती में लागत भी कम आती है।

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