यह ग्लूटेन फ्री चीज़ किसान को बना रही है मालामाल, 5 हजार के खर्चे में 1 लाख 40 हजार रुपये की कमाई, जानिए कैसे

अगर कम खर्चे में ज़्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो चलिए एक ऐसी पारंपरिक फसल के बारे में बताते हैं, जिससे किसान को अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है-

पारंपरिक खेती में तगड़ी कमाई

आजकल यह धारणा बनती जा रही है कि पारंपरिक फसलों की खेती में मुनाफा नहीं है। लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार किसानों को सपोर्ट कर रही है। दरअसल, आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे किसान की जो पारंपरिक फसल की खेती से कम खर्चे में ज़्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। वह न केवल अपनी सेहत का ध्यान रख रहे हैं, बल्कि पर्यावरण को प्रदूषण से बचा रहे हैं और अपनी जमीन की उपजाऊ शक्ति को भी बनाए हुए हैं। बात कर रहे हैं कृषि भूषण नागेश नरवर की, जो सोलापुर के रहने वाले हैं।

वह इंटरक्रॉपिंग करते हैं, जिसमें एक ग्लूटेन फ्री फसल लगाते हैं। इससे उन्हें सिर्फ 5,000 रुपये के खर्चे में 1,40,000 रुपये तक का मुनाफा हो रहा है। तो चलिए जानते हैं वह कौन-सी फसल उगा रहे हैं।

इस ग्लूटेन फ्री फसल से हुई लाखों की आमदनी

किसान भाई नरवर जी दो फसलों की एक साथ खेती करते हैं। जिसमें ज्वार और प्याज़ लगाते है। उन्होंने बताया कि ज्वार की खेती से उन्हें एक लाख रुपये का मुनाफा हुआ है, और आगे भी इससे 3 से 4 लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है। प्याज़ की खेती का मुनाफा इसमें जोड़ा भी नहीं गया है, जबकि प्याज़ सालभर डिमांड में रहती है।

ज्वार, जो कि ग्लूटेन फ्री होता है, सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। यह पाचन में सुधार लाता है, इसमें फाइबर भरपूर होता है, डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए अच्छा है, और एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी में भी राहत देता है। लोग इसका इस्तेमाल रोटी, दलिया, उपमा आदि के रूप में करते हैं। किसान बताते हैं कि मुंबई, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में इसकी ज़बरदस्त डिमांड है।

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कितना मिल रहा है भाव?

किसान चाहे जितनी मेहनत करें, जब तक उनके अनाज की उचित कीमत नहीं मिलती, तब तक फायदा नहीं होता। नागेश नरवर बताते हैं कि वे ज्वार की प्राकृतिक खेती करते हैं, जिसमें केवल जैविक खाद का उपयोग करते हैं। इसलिए उनकी फसल की कीमत भी अधिक मिलती है और खर्च भी कम बैठता है।

वे रासायनिक खाद, कीटनाशक आदि का प्रयोग नहीं करते। इसी कारण उन्हें ज्वार की अच्छी कीमत मिलती है। जिसमें दाने वाली ज्वार ₹170 प्रति किलो और बिना दाने वाली ₹280 प्रति किलो तक बिक रही है। इससे उन्होंने अब तक ₹1,00,000 तक की कमाई कर ली है, और आगे भी फसल से आय जारी है।

वे पहले खेत में प्याज़ लगाते हैं और फिर 60 से 75 दिन बाद ज्वार की बुवाई करते हैं। उन्होंने 35 कुंठे की ज़मीन पर ज्वार की खेती की थी, और अक्टूबर में इसकी बुवाई की। बुवाई के लिए उन्होंने टोकन पद्धति और सुरती, मथुरा जैसी वैरायटी का चयन किया था। जिससे अच्छा रिजल्ट मिला है।

किसान भाइयों को बता दें कि ज्वार एक मोटा अनाज है, और सरकार इसकी खेती को प्रोत्साहित कर रही है। प्राकृतिक खेती करने पर सरकार आर्थिक मदद भी देती है। आप अपने कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं। यदि आप पात्र होंगे तो सब्सिडी का लाभ भी उठा सकते हैं।

ज्वार की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु उत्तम मानी जाती है, जहां तापमान 25 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।

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