धान की फसल में इस रोग को जल्दी नियंत्रित करना बहुत जरुरी होता है क्योकि ये रोग फसल में हवा और सिंचाई के माध्यम से बहुत तेजी से फैलता है तो चलिए जानते है कौन सा रोग है और कैसे रोकथाम की जा सकती है।
ये रोग धान के उत्पादन में ला देगा गिरवाट
धान की फसल में बैक्टीरिया लीफ ब्लाइट रोग का खतरा हो सकता है ये रोग फसल में ज़ैंथोमोनास ओराइज़ी बैक्टीरिया के कारण होता है फसल में इसकी पहचान पत्तियों से की जा सकती है शुरुआती लक्षण जब ये रोग फसल में लगता है तो ये पत्तियों पर पीले धब्बे पैदा करता है और धीरे धीरे भूरे रंग में होकर पत्तियों को सूखा देता है। ये रोग गर्म तापमान, उच्च आर्द्रता और बारिश के साथ-साथ संक्रमित पोधो, पानी, हवा खरपतवार के माध्यम से फैलता है। फसल में इसके लक्षण दिखते ही तुरंत रोकथाम के उपाय करना चाहिए और साथ खेत की मेड को साफ और खरपतवार मुक्त रखना चाहिए। क्योकि खरपतवार भी इस रोग को फैलाने में भूमिका निभाते है।

बैक्टीरिया लीफ ब्लाइट रोग के नियंत्रण के उपाय
धान की फसल में लगे बैक्टीरिया लीफ ब्लाइट रोग को नियंत्रित करने के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड और एग्री माइसिन का छिड़काव करना चाहिए। कॉपर ऑक्सिक्लोराइड एक प्रभावी कवकनाशी और जीवाणुनाशक है जो इस रोग को नियंत्रित करने के लिए बहुत उपयोगी होता है ये फसल को फफूंद और जीवाणु जनित रोगों से बचाने के लिए बहुत लाभकारी होता है ये पत्तियों पर चिपककर एक सुरक्षात्मक परत बनाता है और कवक के बीजाणुओं को जड़ से खत्म करता है। एग्री माइसिन एक जीवाणुनाशक है ये फसल में तुरंत अपना असर दिखता है और फसल में लगे रोग को फैलने से रोकता है। जिससे फसल का स्वास्थ्य और उपज में सुधार होता है। इसके अलावा आप जैविक उपाय भी कर सकते है धान की फसल में लगे बैक्टीरिया लीफ ब्लाइट रोग को खत्म करने के लिए आप गाय के ताजे गोबर को पानी में घोलकर और छानकर उस पानी का छिड़काव फसल में करने से ये रोग नियंत्रित होता है।
कैसे करें छिड़काव
बैक्टीरिया लीफ ब्लाइट रोग को नियंत्रित करने के लिए 250 ग्राम कॉपर ऑक्सिक्लोराइड और 74 ग्राम एग्री माइसिन को 450 से 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर फसल में छिड़काव करना चाहिए आपको बता दें उपयोग के लिए आप उत्पाद के लेबल और लीफलेट पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़कर करना चाहिए। इसका छिड़काव सुबह या शाम के समय करना उचित होता है लेकिन ध्यान रहे जब बारिश हो तब छिड़काव नहीं करना चाहिए।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।

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