गन्ने की फसल में गंभीर समस्या है ये रोग, किसान ऐसे करें अपनी फसल का बचाव नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान, जाने बचाव के उपाय

On: Thursday, September 11, 2025 7:11 PM
गन्ने की फसल में गंभीर समस्या है ये रोग, किसान ऐसे करें अपनी फसल का बचाव नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान, जाने बचाव के उपाय

गन्ने की फसल में जड़ सड़न रोग एक गंभीर समस्या है इसकी रोकथाम के लिए तुरंत उपाय करना चाहिए जिससे उत्पादन में कोई खराब असर नहीं पड़ता है।

गन्ने की फसल में गंभीर समस्या है ये रोग

गन्ने की खेती बहुत लाभदायक व्यवसाय होती है इसकी फसल को कई कीटों और रोगों से बचाव के लिए फसल की देखभाल और उचित समय पर उचित नियंत्रण के उपाय करना महत्वपूर्ण होता है जिससे उत्पादन जबरदस्त होता है गन्ने की फसल में जड़ सड़न रोग एक खराब बीमारी है ये खेत में जलभराव और खराब जल निकासी की वजह से होता है इससे जड़ों में फंगस लगने लगती है जिससे पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगती है और समय पर उचित नियंत्रण के उपाय न करने से पौधे मुरझाने लगते है और मर जाते है। ये फंगस गन्ने की जड़ों पर तेजी से हमला करता है। इस रोग से फसल को बचाने के लिए सबसे पहले खेत में उचित जल धारण क्षमता या निकासी की वयवस्था करनी चाहिए और संक्रमित पौधों में इन दवा का छिड़काव करना चाहिए।

गन्ने में जड़ सड़न रोग से ऐसे करें बचाव

गन्ने में जड़ सड़न रोग को नियंत्रित करने के लिए फसल में आप थायोफेनेट मिथाइल 70 WP दवा का छिड़काव कर सकते है ये एक प्रणालीगत फफूंदनाशक है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से फंगल रोगों और जड़ सड़न रोग को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। थायोफेनेट मिथाइल पौधे की पत्तियों और जड़ों के जरिये से अवशोषित होता है और पूरे पौधे में फैलता है जिससे फंगल रोगजनकों से सुरक्षा मिलती है। और फसल में ये रोग फैलता नहीं है। ये पाउडर फफूंदी, पत्ती के धब्बे, भूरा रतुआ  जैसे कई बिमारियों के खिलाफ भी प्रभावशाली असरदार होता है। इसका उपयोग गन्ने की फसल में जड़ सड़न को खत्म करने के लिए जरूर करना चाहिए।

कैसे करें प्रयोग

गन्ने में जड़ सड़न बीमारी को नियंत्रित करने के लिए 2 ग्राम थायोफेनेट मिथाइल 70 WP को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते है सही खुराक और छिड़काव विधि के लिए उत्पाद लेबल को पढ़कर छिड़काव करना उचित होता है। इसका छिड़काव करते समय ध्यान रहे मोसम साफ रहना चाहिए बारिश के समय छिड़काव नहीं करना चाहिए।

नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।

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