इस फसल की खेती खरीफ में किसानों के लिए अच्छी कमाई करने का उत्तम जरिया होती है इसकी डिमांड बाजार में बहुत होती है तो आइये इस आर्टिकल के माध्यम से इसकी खेती के बारे में जानते है।
प्रोटीन-मिनरल्स का सरताज है ये फलियां
सोयाबीन की ये किस्म बहुत ज्यादा कमाई वाली होती है क्योकि इसके बीजों का उपयोग टोफू, सत्तू, दही, छेना, गुलाब जामुन, पनीर और आइसक्रीम जैसे विभिन्न मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने में होता है जो मार्केट में हर दिन खूब बिकते है। ये किस्म किसानों के लिए एक लाभदायक फसल साबित हो रही है इसमें पोषक तत्व कूट-कूट कर भरे हुए होते है जो सेहत को चुस्त तंदुरस्त रखते है हम बात कर रहे है सोयाबीन की स्वर्ण वसुंधरा किस्म की खेती की ये सोयाबीन की एक उन्नत किस्म है ये किस्म हरी फलियों के लिए लोकप्रिय है।

सोयाबीन की स्वर्ण वसुंधरा किस्म
सोयाबीन की स्वर्ण वसुंधरा किस्म की खेती बहुत लाभदायक होती है। इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ दोमट मिट्टी सबसे उत्तम होती है। मिट्टी का PH मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। इसकी बुवाई से पहले खेत की अच्छी गहरी जुताई करनी चाहिए और मिट्टी को भुरभुरा बनाना चाहिए। सोयाबीन की स्वर्ण वसुंधरा किस्म की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 50-60 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इसकी खेती में कतार से कतार की दूरी 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखनी चाहिए और बीजों को 2.5-5 सेमी की गहराई पर बोना चाहिए बुवाई के बाद सोयाबीन की स्वर्ण वसुंधरा किस्म की फसल करीब 70 से 75 दिनों में तैयार हो जाती है।
कितनी होगी पैदावार
अगर आप सोयाबीन की स्वर्ण वसुंधरा किस्म की खेती करते है तो आपको इसकी खेती से बहुत जबरदस्त बंपर उत्पादन देखने को प्राप्त होगा एक हेक्टेयर में सोयाबीन की स्वर्ण वसुंधरा किस्म की खेती करने से करीब 2500 से 3000 किलोग्राम तक हो सकती है। आप इसकी खेती से लाखों रूपए का मुनाफा आराम से कमा सकते है सोयाबीन की स्वर्ण वसुंधरा किस्म की खेती किसानों के लिए बहुत लाभकारी साबित होती है।