गर्मियों के मौसम में इन फसलों की खेती बहुत लाभकारी मानी जाती है क्योकि ये फसलें तेज तापमान को सहन करने के लिए सहनशील होती है और कम पानी में भी तैयार हो जाती है तो चलिए जानते है कौन सी फसल की खेती है।
45 डिग्री तापमान में भी लहलहाएंगी ये फसलें
गर्मियों का मौसम में ये फसलों की खेती के लिए बहुत उपयुक्त होता है अप्रैल के महीने में रबी की फसलों की कटाई हो जाती है और मई के महीने में खेत पूरी तरह से खाली हो जाते है ऐसे में किसान खाली खेत छोड़ने के बजाये इन फसलों की खेती कर के अच्छी कमाई कर सकते है ये फसल कम पानी, कम लगत मेहनत और कम दिनों में तैयार हो जाती है और बंपर उपज देती है। ये फसलों की खेती बहुत लाभकारी साबित होती है।
मक्का की खेती
गर्मियों के दिनों में किसान मक्का की खेती कर सकते है इसकी खेती कम दिनों में अधिक उपज देती है बारिश के मौसम में इसकी डिमांड बाजारों में खूब अधिक मात्रा में होती है क्योकि लोग इसका सेवन करना बहुत पसंद करते है। मक्का की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी अच्छी होती है। इसकी खेती के लिए खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए और मिट्टी में गोबर की खाद डालनी चाहिए ,इसकी खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 20-22 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है बुवाई के बाद इसकी फसल करीब 65 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है एक हेक्टेयर में मक्का की खेती करने से करीब 40 से 70 क्विंटल की पैदावार होती है आप इसकी खेती से लाखों रूपए की कमाई कर सकते है।

बाजरे की खेती
मई जून के महीने में आप बाजरे की खेती भी कर सकते है बाजरे की खेती कम दिन और कम लागत में अच्छी कमाई देती है बाजरे की खेती के लिए अच्छे जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। इसकी खेती के लिए पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए और बीजों का उपचार करना चाहिए। इसकी बुवाई के लिए 6-8 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होते है इसकी खेती में गोबर की खाद का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। बुवाई के बाद बाजरे की फसल करीब 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है बाजरे की खेती से औसतन 12-15 क्विंटल दाना और 30-40 क्विंटल सूखा चारा प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है।

टिंडे की खेती
टिंडे की खेती कम लागत में बहुत ज्यादा मुनाफा देने वाली होती है टिंडा की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली, रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। इसके पौधे बीज के माध्यम से लगाए जाते है बुवाई से पहले खेत की जुताई और बीजों का उपचार जरूर करना चाहिए और मिट्टी में पोषक तत्व से भरपूर खाद डालनी चाहिए। बुवाई के बाद इसकी फसल करीब 85-90 दिन में तैयार हो जाती है। टिंडे की खेती में प्रति हेक्टेयर औसतन 125-200 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है।
