सोयाबीन की कीमतों में होगा अब तक का सबसे बड़ा बदलाव, 31 जनवरी के बाद जाने कैसा होगा सोयाबीन के भाव का गणित

बीते 4 सालों से सोयाबीन की कीमतों में कमी बनी हुई है। अब ऐसे में किसानों का सब्र टूटता नजर आ रहा है। किसानों ने हाल ही में सोयाबीन के दामों को बढ़ाने को लेकर आंदोलन भी किया जिसमें किसानों ने मांग रखी थी कि सोयाबीन की कीमतें कम से कम ₹6000 प्रति क्विंटल होनी चाहिए। जिसको देखते हुए सरकार की तरफ से सोयाबीन का एमएसपी रेट 4892 रुपए प्रति क्विंटल किया गया था इतना ही नहीं इस पर आयत शुल्क भी लगाया गया था। सरकार के कई कदम भी सोयाबीन के भाव नहीं बढ़ा पाए इतना कुछ करने के बाद भी कीमत धरी की धरी रह गई।

खाद्य तेलों के भाव में बढ़ोतरी का भी नहीं पड़ा सोयाबीन पर असर

खाद्य तेलों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है लेकिन इसके बाद भी सोयाबीन की कीमतों में किसी प्रकार की बढ़ोतरी देखने को नहीं मिल रही है। सितंबर माह में आयात शुल्क में 20% की बढ़ोतरी होने के बाद पाम आयल के दाम पिछले साल की तुलना में 30% से ज्यादा बढ़ चुके हैं। सरकार के इस कदम के बाद भी सोयाबीन के दामों में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है वही सोयाबीन की वर्तमान कीमत की बात करें तो मंडी भाव लगभग 4000 से 4300 प्रति क्विंटल पर ही अटका हुआ है।

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सोयाबीन के दाम बढ़ाने के लिए सरकार फिर एक प्रयास करेगी

सरकार की तरफ से सोयाबीन के भाव को बढ़ाने के लिए फिर एक बार प्रयास किया जाएगा। बता दे कि अंतरराष्ट्रीय बाजार सोयाबीन का वायदा व्यापार यानी कि डिब्बा व्यापार फरवरी से शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। बीते तीन सालों से सरकार इस पर रोक लगाती नजर आ रही है। बता दे कि उद्योग जगत के साथ कारोबारी की मंशा भी डिब्बा व्यापार शुरू करने की है। सोयाबीन के दाम बीते 3 सालों से जहां के वहां ही है।

सोयाबीन ब्रोकरेज एक्सपर्ट की माने तो संदीप शारदा के मुताबिक शुद्ध सट्टे की तर्ज पर कमोडिटी का डिब्बा व्यापार चलता है। इसको बंद करने की डिमांड भी करोड़ों रुपए का डिब्बा व्यापार में नुकसान होने के बाद उठाई गई थी लेकिन सोयाबीन जींस डिब्बा में चली जाए तो भाव में तेजी देखने को मिल सकती है। अब ऐसे में सरकार की तरफ से क्या निर्णय लिया जाता है यह आने वाला समय ही बता पाएगा।

सोयाबीन के भाव पर क्या पड़ेगा असर

फिलहाल अंतरराष्ट्रीय मार्केट की बात करें तो यहां पर खाद्य तेलों की कीमत बहुत कम चल रही है वही मलेशिया में फॉर्म तेल की कीमत बीते दिनों के सर्वोच्च स्तर में लगभग 800 रेटिंग गिरी है। तेल की कीमत कम होने के चलते तिलहन उपज के भारत के बाजार में दाम घटते जा रहे हैं। सरकार की तरफ से आने वाले समय में जल्द ही एग्री वायदा से बैन हटाने की संभावना जताई जा रही है। सोयाबीन और गेहूं समेत 6 फसलों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध की आखिरी तिथि तक बताई जा रही है।

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इसके बाद बैन हटाने की उम्मीद की जा रही है। अब ऐसे में व्यापारियों की माने तो कमोडिटी सोयाबीन वायदा से बैन हट जाता है तो ऐसे में इंडस्ट्री को फायदा मिलेगा साथ ही विशेषज्ञ का कहना है की लंबी अवधि के लिए सरकार नीतियां तैयार करेगी। लगातार बार-बार नीतियों में बदलाव से इंडस्ट्री और किसानों को परेशानी उठानी पड़ती है दाम तय करने से भी परेशानी उठानी पड़ेगी किसानों को इससे अच्छे दाम मिलेंगे और देश में तिलहन की खेती को बढ़ावा प्राप्त होगा।

सोयाबीन के भाव भविष्य में क्या होंगे

जनवरी महीने में 15 तारीख के बाद खरमास खत्म होने के बाद शादियों का सीजन शुरू होने की वजह से तेलों की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। इसका असर सीधा सोयाबीन के भाव पर पड़ेगा लेकिन ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं जताई जा रही है क्योंकि देश में खाद्य तेलों का स्टॉक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। अब ऐसे में कहा जा सकता है कि सोयाबीन की कीमतों में थोड़ा बहुत सुधार आएगा लेकिन बहुत ज्यादा भाव बढ़ने की उम्मीद नहीं है।

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