आ गया है धान पर कड़ी निगरानी रखने का समय, जरा सी चूंक से रोग हो या कीट फसल को कर देंगे तबाह, जानिए लक्षण और बचाव के तरिके

On: Wednesday, September 17, 2025 10:05 AM
आ गया है धान पर कड़ी निगरानी रखने का समय, जरा सी चूंक से रोग हो या कीट फसल को कर देंगे तबाह, जानिए लक्षण और बचाव के तरिके

धान की खेती में कीट और रोग दोनों ही एक बड़ी परेशानी है धान की बुवाई से लेकर कटाई तक में इनका असरअलग-अलग तरीकों से कही न कही देखने को मिलता ही है इनसे बचाव के लिए कुछ टिप्स और कीटनाशकों दवाओं का प्रयोग करना आवशयक है जिससे फसल इनसे हरदम सुरक्षित रहती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जिससे धान की पैदावार जबरदस्त होती है।

आ गया है धान पर कड़ी निगरानी रखने का समय

धान की रोपाई जून जुलाई के माह में की जाती है रोपाई हुए अब 65 से 70 दिन हो चुके है धान की फसल के दौरान बीच-बीच में कई रोग और कीट का प्रकोप होता है अगर फसल में थोड़े से भी कीट रोग के लक्षण दिखाई दें तो नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योकि जरा सी भी लापरवाही से फसल को नुकसान पहुंच सकता है। इन दिनों धान की फसल में कड़ी निगरानी रखने का समय होता है। क्योकि इस समय धान की बलिया आना शुरू हो जाती है। जब बाली बनने लगे तब खेत में फिर से 3-5 सेमी पानी बनाए रखना चाहिए। ये दाना भरने के लिए लाभदायक साबित होता है जब बालियों में दाने बनता है तो उसमे दूधिया जैसा तरल रस होता है जिसमे रसचूसक कीट का हमला हो सकता है रस चूसने वाले मुख्य कीट गंधी बग और चावल की बाली कीट होते है जो दानों को दूधिया अवस्था में खोखला कर देते है। इनसे बचाव के लिए हम आपको एक ऐसी दवा के बारे में बता रहे है जो फसल को कीटों से बचाने के लिए बहुत लाभकारी होती जिससे न केवल धान की फसल सुरक्षित रहेगी बल्कि उपज भी बंपर होगी।

ऐसे करें बचाव

धान की बालियों में गंधी बग और चावल की बाली कीट को नियंत्रित करने के लिए थायोमिथाक्साम दवा के बारे में बता रहे है ये कीटनाशक रस चूसने वाले और चबाने वाले कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए बहुत प्रभावी और कारगर साबित होता है। ये आपको बाजार में किसी भी कीटनाशक की दुकान में आसानी से मिल जायेगा इसका प्रयोग सही मात्रा में करना उचित होता है तो चलिए जानते है इसका उपयोग कैसे किया जाता है।

कैसे करें प्रयोग

धान की बालियों में गंधी बग और चावल की बाली कीट की रोकथाम के लिए थायोमिथाक्साम नामक कीटनाशक का उपयोग करने के लिए करीब 40 ग्राम दवा को लगभग 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से फसल में छिड़काव किया जा सकता है आपको बता दें छिड़काव करने से पहले उत्पाद के लेबल और लीफलेट पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़कर करना चाहिए। जिससे उपयोग करने में आसानी होती है।

नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।

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