3 लाख रुपये प्रति किलोग्राम से भी ज्यादा कीमती इस चीज की खेती से किसानो का जीवन हो जाएगा धन्य

3 लाख रुपये प्रति किलोग्राम से भी ज्यादा कीमती इस चीज की खेती से किसानो का जीवन हो जाएगा धन्य। केसर एक बहुत ही कीमती और लाभदायक मसाला है, जिसे मुख्य रूप से क्रोकस सैटिवस पौधे के फूलों से प्राप्त किया जाता है। इसकी खेती विशेष रूप से ठंडे और सूखे जलवायु वाले क्षेत्रों में की जाती है। भारत में केसर की सबसे अधिक खेती जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और अब कुछ हद तक उत्तराखंड और लद्दाख में भी होती है। आइए केसर की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं।

केसर की खेती के लिए जलवायु और भूमि

केसर ठंडे और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह उगता है। अच्छी जल निकासी वाली दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। भूमि का pH मान 6-8 के बीच होना चाहिए। भारी या दलदली भूमि केसर के लिए उपयुक्त नहीं होती।

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केसर की खेती कैसे करें

खेत को अच्छे से जोतकर भुरभुरा और समतल बना लें। गोबर की खाद या जैविक खाद अच्छी मात्रा में डालें। खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध करें क्योंकि जलभराव से केसर के कंद सड़ सकते हैं। केसर के कंद को अगस्त से सितंबर के बीच बोया जाता है। कंदों को 5-10 सेमी गहराई में और 10-15 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है।

प्रति हेक्टेयर लगभग 5 से 6 टन कंद की आवश्यकता होती है। वर्षा आधारित खेती में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। जहां बारिश कम हो वहां हल्की सिंचाई करें। फूल आने से पहले 2-3 सिंचाइयां करना लाभकारी होता है। जलभराव से बचना जरूरी है क्योंकि इससे पौधों को नुकसान हो सकता है।

बुवाई से पहले खेत में अच्छी तरह गोबर की खाद डालें। केसर को अतिरिक्त रासायनिक उर्वरकों की कम आवश्यकता होती है। फूल आने से पहले हल्की मात्रा में नाइट्रोजन आधारित खाद दी जा सकती है। अक्टूबर से नवंबर के बीच फूल आ जाते हैं। फूलों को हाथ से तोड़कर तुरंत प्रोसेस किया जाता है। फूलों से लाल रंग की केसर की तार को सावधानी से अलग किया जाता है। फिर इसे छांव में या हल्के तापमान पर सुखाया जाता है।

केसर से कमाई

एक हेक्टेयर भूमि से औसतन 2 से 5 किलोग्राम सूखा केसर प्राप्त होता है। बाजार में केसर की कीमत 2 लाख से 3 लाख रुपये प्रति किलोग्राम या उससे भी अधिक हो सकती है, जिससे यह अत्यंत लाभकारी फसल मानी जाती है। केसर को पूरी तरह सूखाने के बाद एयरटाइट कंटेनरों में रखा जाता है। नमी और सीधी धूप से बचाना जरूरी है ताकि इसकी खुशबू और रंग लंबे समय तक बने रहें।

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