आज हम आपको ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो की बाराबंकी के कसिमपुर गांव के रहने वाले हैं इनका नाम आलोक है। एक समय हुआ करता था जब इसकी इच्छा इंजीनियर बनने की थी लेकिन उनको सरकारी कॉलेज में सीट न मिल पाने की वजह से वह इंजीनियर नहीं बन पाए। इसके बाद उन्होंने खेती शुरू कर दी आज खेती से वह इतनी कमाई कर रहे हैं जितनी वह इंजीनियर बनकर भी नहीं कर पाते। आइए इनकी कहानी जानते हैं।
साल 2016 में शुरू की थी खेती
आलोक का कहना है कि उन्होंने साल 2016 में खेती शुरू कर दी थी। इन्होंने खेती की शुरुआत में सबसे पहले 10 बीघा जमीन में गोभी की खेती से शुरु की थी। लेकिन इस फसल से उनको लागत भी नहीं मिल पाई। ऐसे में इन्होंने इस समस्या का समाधान करने के लिए स्ट्रॉबेरी की खेती की इसके बाद उन्हें अच्छा प्रॉफिट मिला। इसके बाद उन्होंने सोचा कि एक ही जमीन पर तीन खेतिया की जा सकती है तब उन्होंने स्ट्रॉबेरी के साथ तरबूज और लौकी की भी खेती शुरू कर दी।
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लखनऊ में भेजी जाती है सब्जियां
आलोक का कहना है कि सारे खर्च निकाल करके उनको साल भर में लगभग 15 लाख रुपए की कमाई हो जाती है। इतना ही नहीं इनका कहना है कि स्ट्रॉबेरी की सप्लाई लखनऊ के लुलु मॉल में बड़े स्टोर्स के साथ ऑनलाइन ब्लिंकिट के जरिए हो जाती है। वही थोड़ा बहुत बचा हुआ माल बाराबंकी और लखनऊ के मंडियों में बेच दिया जाता है। इसके बाद धीरे-धीरे आलोक ने खेती की तकनीकियों में बदलाव किया। जिसके बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मनाली में लीज पर जमीन लेकर नर्सरी तैयार कर ली जहां पर उनका प्लान है कि कई अन्य फसलों की खेती करेंगे।
जैविक और रासायनिक खादों का इस्तेमाल
आलोक का कहना है कि स्ट्रॉबेरी की खेती में जैविक खाद और रासायनिक दोनों ही खादो का इस्तेमाल किया जाता है इससे फसलों की गुणवत्ता के साथ उत्पादन भी अच्छा खासा मिलता है इसके साथ ही नियमित रूप से सॉइल टेस्टिंग करना भी आवश्यक होता है जिससे की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी ना हो पाए और अगर होती है तो उसको तुरंत पूरा किया जाए इसके साथ ही समय पर फसलों का निरीक्षण होना भी बेहद जरूरी है जिससे कि उसका प्रबंध किया जा सके।
किसानों के लिए बने प्रेरणा
आलोक वर्मा एक ऐसे किसान है जो सफलता का शिखर छू चुके हैं। आलोक दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। इतना ही नहीं साथ ही वह अन्य किसानों को कम जमीन में कैसे अच्छी खेती की जा सकती है इसके बारे में भी जानकारी देते हैं साथ ही आधुनिक खेती के लिए भी लोगों को जागरुक करते हैं।
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