आर्थिक दृष्टि से जबरदस्त है इस मामूली से फल की खेती, एक बार में लाखो की होगी बौछार

On: Friday, March 21, 2025 12:04 PM

आर्थिक दृष्टि से जबरदस्त है इस मामूली से फल की खेती, एक बार में लाखो की होगी बौछार। तेंदुफल एक महत्वपूर्ण वृक्ष है, जिसका फल और पत्ते दोनों ही आर्थिक दृष्टि से उपयोगी होते हैं। तेंदू के पत्तों का उपयोग विशेष रूप से बीड़ी बनाने में किया जाता है, जबकि फल खाने योग्य होता है और आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है। चलिए, तेंदुफल की खेती के बारे में विस्तार से बताते हैं।

तेंदुफल की खेती के लिए जलवायु और भूमि

तेंदू की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। यह काली मिट्टी, बलुई दोमट मिट्टी या लाल लेटराइट मिट्टी में अच्छी तरह उगता है।उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में यह आसानी से पनपता है।

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तेंदुफल की खेती कैसे करें

तेंदू को बीज से या पौधशाला में तैयार किए गए पौधों से उगाया जाता है। बीजों को अंकुरण से पहले 24 घंटे पानी में भिगो देना चाहिए। पौधों को जून-जुलाई के दौरान वर्षा ऋतु में रोपित करना बेहतर होता है। पौधों के बीच सामान्यतः लगभग 5 से 6 मीटर की दूरी रखी जाती है। तेंदू एक सूखा सहनशील वृक्ष है, इसलिए बहुत अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती।

शुरुआत में 2-3 साल तक आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी पड़ सकती है। गर्मियों में 15-20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। पौधों के आसपास समय-समय पर निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। खेत तैयार करते समय गोबर की सड़ी हुई खाद डालना अच्छा रहता है। इसके अलावा, NPK की संतुलित मात्रा साल में एक बार दी जा सकती है।

जैविक खाद का उपयोग करने से तेंदू की गुणवत्ता में सुधार होता है। तेंदू में बहुत ज्यादा कीट या रोग नहीं लगते, लेकिन कभी-कभी पत्ती खाने वाले कीट या दीमक से नुकसान हो सकता है। जरूरत पड़ने पर जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव करें। तेंदू के फल मार्च-अप्रैल में पकते हैं और मई-जून में तेंदू के पत्तों की तोड़ाई होती है। औसतन एक पेड़ से 8-10 किलो पत्ते और 10-15 किलो फल मिल सकते हैं।

तेंदुफल से कमाई

तेंदू के पत्ते बीड़ी उद्योग में बहुत मांग में रहते हैं, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिलता है। फल स्थानीय बाजार में बेचा जाता है या आयुर्वेदिक औषधियों में उपयोग होता है। तेंदुफल की खेती से अच्छा-खासा मुनाफा कमाया जा सकता है।

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