टमाटर की खेती के बारें में इस लेख में संपूर्ण जानकारी दी गई है। चलिए जानते है टमाटर की अधिक का सही तरीका क्या है किन बातों का रखे ध्यान।
टमाटर की खेती
टमाटर की खेती में किसानों को मुनाफा होता है। आपको इसकी खेती के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं। आपको बता दे कि टमाटर की खेती में लागत कम आती है। लेकिन मुनाफा अधिक होता है। जिसमें पैदावार की बात करो तो किसान एक हेक्टर से 800 से लेकर 1200 क्विंटल तक ले सकते हैं।
जिसमें उन्हें बढ़िया वैरायटी का चयन करना होगा। इसके बारे में आगे आपको जानकारी दी जाएगी। एक हेक्टेयर में यदि करके किसान टमाटर लगाते है तो 10 से 15 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं। टमाटर की खेती में किसानों को कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। टमाटर की खेती से किसान कमाई कर सकता है। चलिए जानते हैं टमाटर की खेती के बारे में पूरी जानकारी।
टमाटर की सबसे अच्छी किस्म
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार टमाटर की कुछ बढ़िया वैरायटी के बारे में जानिए-
- पंत टमाटर 3 यह भी किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प है। यह वैरायटी 80 से 85 दिन में तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर में खेती करने पर 55 से 60 टन उत्पादन प्राप्त होता है। यह कई रोगों के प्रति प्रतिरोधी होती है। जिससे उसमें लागत कम आएगी और मुनाफा ज्यादा होगा।
- इसके अलावा किसान टमाटर की काशी वैरायटी का भी चयन कर सकते हैं। इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह अधिक उपज देने में सहयोगी होगी। इसके फल गहरे हरे रंग के और गोल आकार के होते हैं। फलों के वजन की बात करें तो 80 से 90 ग्राम तक होता है। एक हेक्टेयर में खेती करने पर 45 टन तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसमें लीफ कर्ल वायरस बीमारी नहीं लगेगी। क्योंकि इसके प्रति यह प्रतिरोधी है। कम तापमान में भी यह फसल बढ़िया रहती है।
- टमाटर की अर्का रक्षक वैरायटी भी अच्छी है। अधिक उपज देने में सक्षम है। कई रोगों के प्रति यह भी प्रतिरोधी है। एक पौधे से ही 18 किलो फल प्राप्त किया जा सकते हैं। 75 से 80 टन 1 हेक्टेयर में उत्पादन मिलता है। 90 से 100 ग्राम वजनी इसके टमाटर होते हैं। ज्यादातर किसानों की यह पहली पसंद होती है। 80 से 50 दिन में उपज देने के लिए तैयार हो जाती है। इसमें लीफ कर्ल वायरस, बैक्टिरियल ब्लाइट और अगेती अंगमारी आदि रोग नहीं लगेंगे। क्योंकि उनके प्रति यह प्रतिरोधी है।
- अर्का सम्राट टमाटर भी एक बेहतरीन किस्म है। यह संकर किस्म है। 140 दिन में तैयार होकर 80 से 50 टन प्रति हेक्टेयर इससे उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसके फल 90 से 100 ग्राम तक के होते हैं। बड़े आकार और गोल दिखाई पड़ते हैं। इसकी कीमत बढ़िया किसानों को मिलती है।
- इसके अलावा दिव्या वैरायटी के बारे में भी एक्सपर्ट बताते हैं यह भी पछेता झुलसा और आंख सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधी है। इसमें फल लंबे समय तक खराब नहीं होते। तो किसानों को अधिक समय तक भंडारण करने में आसानी होगी।
- इसके बाद काशी विशेष भी एक अच्छी वैरायटी है। इसमें भी लीफ कर्ल वायरस जैसी बीमारी नहीं लगेगी। क्योंकि उसके प्रति यह प्रतिरोधी है। कई मौसम में इसकी खेती किसान कर सकते हैं।
- पूसा गौरव भी एक अच्छी किस्म है। इसके फल चिकने मध्यम आकार के होते हैं। लाल रंग होता हैं। इसकी खासियत है कि यह डब्बा बंदी के लिए उपयुक्त है।
- पूसा टमाटर हाइब्रिड किस्म अधिक पैदावार देने में सक्षम है। यह भी कई बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है। इसके टमाटर का आकार दिल की तरह दिखाई देता है। जिससे ग्राहक आकर्षित होते है।
इसके आलावा किसानों को अपने क्षेत्र की मंडी की डिमांड के अनुसार किस्मो का चुनाव भी करना चाहिए।
टमाटर की खेती कब करें
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानिए टमाटर की खेती कब कहां किस क्षेत्र में की जाती है-
- अलग-अलग मौसम के अनुसार टमाटर की खेती होती रहती है।
- जिसमें अक्टूबर या नवंबर में टमाटर की खेती और नर्सरी भी तैयार कर सकते है।
- इसके आलावा किसान बरसात, जून-जुलाई में टमाटर लगा सकते है।
- वहीं उत्तरी राज्यों के किसान बसंत में टमाटर की पनीरी नवंबर के अंतिम में बो सकते है। साथ ही जनवरी के दूसरे पखवाड़े में इसकी खेती कर सकते है।
- फिर पहाड़ी क्षेत्रो की बात करें तो वहां टमाटर की बिजाई मार्च-अप्रैल और फिर अप्रैल-मई के बीच खेत में लगाते है।
- टमाटर की खेती के लिए तापमान की बात करें तो 18 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच का बेहतर होता है।
टमाटर की खेती में किसानों को पाले का ध्यान रखना चाहिए। पाला से फसल ख़राब हो सकती है। इस मौसम में कोहरा पाला से फसल का बचाव करना चाहिए।
टमाटर की खेती में कौन-सी खाद डालें
- टमाटर के लिए गोबर की खाद की खाद भी बढ़िया है। जिसमें सड़ी पुरानी खाद डालनी चाहिए। मात्रा की बात करें तो एक हेक्टेयर में 100 क्विंटल खाद डाल सकते है।
- इसके आलावा किसान डीएपी और अमोनियम सल्फ़ेट खाद रोपाई से पहले डाल सकते है। जिसमें मात्रा की बात करें तो एक हेक्टेयर में 50 किलोग्राम डीएपी और 50 किलोग्राम अमोनियम सल्फ़ेट इस्तेमाल कर सकते है।
- टमाटर की खेती के लिए म्यूरेट ऑफ़ पोटाश भी इस्तेमाल की जा सकती है। टमाटर की रोपाई से पहले एक हेक्टेयर में 40 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश डालने से भी फायदा होता है।
- टमाटर के किसान ज़िंक सल्फ़ेट मिट्टी में ज़िंक की कमी को पूरा करने के लिए दे सकते है। जिसमें एक हेक्टेयर में 10 किलोग्राम ज़िंक सल्फ़ेट डाल सकते है।
- इसके बाद यूरिया भी किसान भी अच्छा विकल्प है। रोपाई के 30 और 60 दिन बाद एक हेक्टेयर में 35 किलोग्राम यूरिया दे सकते है।
- टमाटर के लिए किसान ह्यूमिक एसिड और ऑर्गेनिक पोटाश डाल सकते है। इससे टमाटर के फसल से अधिक फल ले सकते है।
- वही फल लगने के बाद टमाटर के पौधों को स्वस्थ फल पैदा करने के लिए फॉस्फोरस दे सकते है। इससे उत्पादन घटेगा नहीं।
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टमाटर का पौधा कितने दिन में फल देता है
खेती में किसानों का सयंम भी रखना पड़ता है। लेकिन अगर उन्हें पता हो कि कितने दिन में उन्हें फल प्राप्त होगा तो ज्यादा दिक्क्त नहीं आती हैं। जिसमें टमाटर की खेती की बात करें तो जिस दिन से किसान बीज बोयेंगे, उसके बाद 25 से 30 दिनों में पौधे खेत में तैयार होंगे। अंकुरण तो 5-10 दिन में हो जाता है।
पौधा रोपण करने के करीब 50-55 दिन बाद टमाटर में फूल दिखाई देंगे और पौधे के प्रकार को होने के समय की बात करें तो 60 से 65 दिन में पौधे परिपक्व होते हैं। जिसमें सीधा अगर बीज बोने और फल तोड़ने की बात करें तो फसल की कटाई तक का पूरा चक्र लगभग 85 से 90 दिनों में होता है। जिसमें कृषि विशेषज्ञ के अनुसार आपको बता दे की सुबार्कटिक लगाकर 50 दिन के भीतर पैदावार ले सकते हैं।
टमाटर के अधिकतर पौधे 5 महीने तक ही फल देते है। कुछ किस्म ऐसी है जो 6 महीने तक चल जाती है। नहीं तो ज्यादातर पांच महीने बाद सूख जाते है।
1 एकड़ में टमाटर के कितने पौधे लगते हैं
टमाटर की खेती में किसानों को यह भी पता होना चाहिए कि वह जितनी जमीन पर खेती कर रहे उसके लिए कितने बीज या पौध आदि की जरूरत पड़ेगी। जिसमें 1 एकड़ में अगर किसान टमाटर की खेती करते हैं तो 8000 पौधों की जरूरत होगी। जिसमें से कुछ पौधे तो खराब हो जाते हैं। किसानों का कहना है कि 20% पौधे खराब होने का अनुमान रहता है तो कुल मिलाकर 6500 तक पौधे खेत में बचे रहते हैं। जिसकी अगर अच्छे से देखभाल की जाए तो अच्छा उत्पादन मिल जाता है।
गर्मी में टमाटर की खेती कैसे करें
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार टमाटर की खेती के बारे में जानिए-
- टमाटर की खेती गर्मी, बरसात और सर्दी में भी की जाती है।
- टमाटर की खेती के लिए दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। जिसमें रेतीली दोमट मिट्टी, काली दोमट मिट्टी, लाल दोमट मिट्टी आदि का चयन कर सकते हैं।
- टमाटर की खेती के लिए 7 से 8.5 के बीच का पीएच मान बेहतर माना जाता है।
- गर्मियों में अगर टमाटर की खेती करते हैं तो हर सप्ताह सिंचाई करें। गर्मी की फसल के लिए किसान नर्सरी दिसंबर व जनवरी में तैयार करें। जिसमें एक हैक्टेयर भूमि में 400 से 500 ग्राम बीज की जरूरत होती है।
- खरपतवार कम करने के लिए समय पर निराई गुड़ाई करें।
- टमाटर की खेती करें तो बढ़िया वैरायटी का चयन करें।
- बीज को बोने से पहले किसानों को खेत तैयार कर लेना चाहिए।
- खेत तीन से चार बार जोत सकते हैं।
- अच्छी पैदावार के लिए 200 से 300 क्विंटल गोबर की सड़ी पुरानी खाद एक हेक्टेयर में दे सकते हैं।
- खाद डालने के बाद एक बार अच्छी सी जुताई कर ले।
- टमाटर के पौधों की रोपाई 60*45 सेमी की दूरी में करें।
- रोपाई के बाद सिंचाई करें। इसके बाद 15-20 दिन के अंतराल में भी सिंचाई करते रहे।
- सर्दी में खेती करते हैं तो पाला-कोहरा से फसल को बचाए। गर्मी में लगा रहे हैं तो लू से बचाए।
- बरसात में अगर टमाटर की खेती कर रहे हैं तो खेत में पानी ना रुके इस बात का ध्यान रखें। जल निकासी की व्यवस्था बढ़िया हो।
टमाटर की खेती में इन बातों का रखें ध्यान
- टमाटर की खेती में सिंचाई का पूरा ध्यान रखें। जड़ों को पूरा पानी अच्छे से मिलना चाहिए। इसलिए धीरे-धीरे पानी देना चाहिए। ताकि जड़ तक पानी जाए।
- मिट्टी की सतह जब सूख जाए तब उसमें पानी देना चाहिए।
- टमाटर की जब नर्सरी तैयार करते हैं तो ऊंची उठी हुई क्यारी को बनाएं।
- पौधे की जब नर्सरी तैयार होती है उस समय पर फव्वारों के द्वारा सिंचाई करें।
- रोग बीमारी कम आये इसलिए बीजो का उपचार करने के बाद बुवाई करें। जिसमें कीट और मिट्टी के रोग से बचाने के लिए 3 ग्राम थायरम या 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचार कर सकते हैं।
- टमाटर के पौधों की बढ़िया ग्रोथ हो उनका विकास अच्छे तरीके से हो इसके लिए किसानों को हवा पानी और प्रकाश का ध्यान रखना पड़ेगा। इन तीनो के बीच संतुलन बनाकर रखना पड़ेगा।
- पौधे को कम से कम 8 घंटे की धूप चाहिए होती है। तो जहां पर पूरी धूप आती हो वहां पर ही खेती करें।
- जरुरत से ज्यादा खाद पानी न दें। इससे भी पौधे की ग्रोथ रुक सकती है।
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