तालाब नहीं खेत में लग जाएगा मखाना, ऐसे करें मखाने की खेती, सालाना होगी 3 से 4 लाख रु की कमाई

तालाब नहीं खेत में लग जाएगा मखाना, ऐसे करें मखाने की खेती, सालाना होगी 3 से 4 लाख रु की कमाई। बस करना पड़ेगा मखाने की खेती के लिए ऐसे खेत तैयार।

खेत में मखाने की खेती

मखाना की खेती में बहुत पैसा है। जो किसान मखाना की खेती करते हैं वह बढ़िया कमा लेते हैं। लेकिन कई किसानों को ऐसा लगता है कि सिर्फ बड़े-बड़े तालाबों में ही मखाने की खेती की जाती है। लेकिन ऐसा नहीं है। आप खेतों में भी मखाने की खेती कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए थोड़ा-सा दिमाग लगाना पड़ेगा।

बता दे कि कहीं ऐसे किसान है जो खेतों में मखाने की खेती कर रहे हैं। मखाने की खेती में बढ़िया प्रॉफिट है। इससे सालाना तीन से चार लाख रुपए की कमाई की जा सकती है, और सिर्फ मखाना ही नहीं बल्कि इसका कंद और डंठल बेचकर भी किसान कमाई कर रहे हैं। तो चलिए जानते हैं खेत में कैसे मखाने की खेती होती है।

खेतों में हो रही मखाने की खेती

मखाना की खेती अधिकतर बिहार के मिथिलांचल में हो रही है। जहां पर किसान बड़ी मेहनत से मखाने की खेती करते हैं। वही बिहार के दरभंगा के साथ-साथ मधुबनी जिले भी मखाने की खेती के लिए जाने जाते हैं। यहां पर सालों से मखाना की खेती की जा रही है। लेकिन अब मखाने की खेती सिर्फ तालाब में ही नहीं बल्कि खेतों में भी की जाने लगी है। क्योंकि जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है तालाबों की कमी होती जा रही है।

इसीलिए लोग खेतों में मखाना लगा रहे हैं। लेकिन उनके खेत सामान्य नहीं है। वहां साल भर पानी जमा रहता है। जिसमें वह 6 से 9 इंच तक पानी देख कर ही मखाना की खेती करते हैं। यानी की पानी बढिये खेतों में भरा रहना चाहिए। चलिए जानते हैं मखाने की खेती के बारे में।

तालाब नहीं खेत में लग जाएगा मखाना, ऐसे करें मखाने की खेती, सालाना होगी 3 से 4 लाख रु की कमाई

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मखाना कैसे तैयार होता है

मखाना की खेती आसान नहीं होती। किसान को बड़ी मेहनत करनी पड़ती है। समय के साथ-साथ उसे मखाने को तैयार करने में मेहनत भी लगती है। जिसमें सबसे पहले वह पानी की सफाई करते हैं। खरपतवार निकालते हैं। उसके बाद बीजों की रोपाई करते हैं, और अप्रैल महीने में फूल भी दिखाई देने लगते हैं। यह फूल लगभग तीन से चार दिन तक पौधे पर रहते हैं। उसके बाद बीज फल बनने लगता है। फिर बरसात यानी जून जुलाई के समय लगभग 24 से 48 घंटे तक पानी में तैरता हुआ दिखाई देता है, और फिर तली पर बैठ जाता है।

पौधों में कांटा भी होता है जो 2 महीने में गल जाता है। फिर सितंबर से अक्टूबर महीने के बीच में किसान तली पर बैठे फल को निकालते हैं, फिर उसे धूप में सुखाते हैं, और बीजों की ग्रीडिंग की जाती है। उसके बाद मखाना को हथौड़े गर्म करके हथौड़े से फोड़ के अंदर के लावा को निकलते हैं और फिर इसका इस्तेमाल किया जाता है।

इस तरह आप देख सकते हैं मखाना बनाने की एक लम्बी प्रक्रिया होती है। जिसमें किसान को बहुत समय तक इंतजार करने के साथ-साथ मेहनत भी करनी पड़ती है

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