बबियाव के रहने वाले किसान शैलेंद्र कुमार रघुवंशी अमरुद की खेती से करोड़ो रु कमा रहे है। इतना ही नहीं 4000 किसान उनके साथ जुड़ कर बागवानी करके लाखों रूपये कमा रहे। तब चलिए आपको बताते है उनकी सफलता की कहानी।
अमरुद की खेती सालाना 3 करोड़ रु कमा रहे
वाराणसी : उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के चोलापुर विकास खंड के बबियाव गाव के रहने वाले किसान शैलेंद्र कुमार रघुवंशी उन्नत कृषि के लिए पूरे देश में ख्यात हैं। स्मार्ट खेती की बदौलत खुद को साबित करके दिखाया और दूसरो को राह दिखा रहे हैं। उनकी मेहनत से उपजे अमरुद व बेर की खुशबू दक्षिण भारत तक फैल रही है। इनके यहाँ की नर्सरी के पौधे कई प्रदेश में लहलहा रहे है। उनके साथ करीब 4000 किसान बागवानी से जुड़े हुए हैं।
अमरुद के इन किस्मों का किया चयन
बकौल, शैलेंद्र करीब 6 एकड़ भूमि में उन्होंने वर्ष 2007 से अमरूद की बागवानी शुरू की। उस दौरान ललित, श्वेता, इलाहाबाद सफेदा, एल 49, पंत प्रभात, ग्वालियर-27 आदि प्रजाति के 2000 पौधे लगाए। धीरे-धीरे उनके बाग से निकले अमरूद का स्वाद बनारस में लोगों को मिलने लगा। देखते ही देखते वर्ष 2012 में फल के साथ ग्राफ्टिंग कर पौधे भी तैयार करने लगे। रघुवंशी ने 1600 वर्ग मीटर में नेट हाउस व 200 वर्ग मीटर में पाली हाउस का निर्माण किया। बाद में इसकी चर्चा देश में फैलती गई और महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि सूबों के किसान यहां बाग देखने के लिए आने लगे।
किसानों को देने लगे प्रशिक्षण
खेती के साथ-साथ किसानों को शैलेंद्र प्रशिक्षण भी देने लगे। शुरू में उनके बाग में आकर बिहार और बनारस के व्यापारी अमरूद ले जाते थे। शैलेंद्र ने बताया कि उस दौरान 25 क्विंटल अमरूद प्रतिदिन बिकता था। बाद में बागवानी का नाम जय श्री बागवानी रख दिया। उन्होंने बताया कि उनके बाग का अमरूद अब देश के कोने-कोने तक जा रहा है। उनके उन्नत तरीके की खेती की चर्चा अब पूरे देश में होने लगी है।
अमरुद के साथ शुरू की बेर खेती
पाच वर्ष पूर्व कोलकाता में आयोजित प्रदर्शनी मे वह अचानक भाग लेने गए थे। वहां अमरूद के साथ ही थाईलैंड प्रजाति की बेर की जानकारी हुई। तत्काल वहां से बेर के 180 पौधे मंगाकर खेत में लगवा दिए। वर्तमान में दो से ढाई लाख पौधों का उत्पादन प्रतिवर्ष हो रहा है।
पीएम मोदी कर चुके हैं सम्मानित
खेती-किसानी की बदौलत वर्ष 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने शैलेंद्र पुरस्कृत भी हो चुके हैं। इसी साल पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भी उन्हें पुरस्कृत किया था। इसके बाद उनको वर्ष 2014 में आईएम पटेल फार्मर राष्ट्रीय अवार्ड मिला। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (लखनऊ) के सदस्य के तौर पर भी शैलेंद्र का चयन किया गया। वर्ष 2014 में ही फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के भी सदस्य बने।
किसानों में बागवानी की जगा रहे अलख
शैलेंद्र सिंह अमरूद उत्पादक संघ बनाकर पूरे भारत में किसानों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। उनके साथ करीब 4000 किसान बागवानी से जुड़े हुए हैं। बागवानी में वैज्ञानिक व पशु चिकित्सकों द्वारा किसानों को पौध व पशुओं के रखरखाव की जानकारी समय-समय पर देते रहते हैं।
सरकारी नौकरी छोड़ कर शुरू की बागवानी
किसान शैलेंद्र कुमार रघुवंशी अब किसानो के मार्गदर्शक बन गए है। सरकारी नौकरी छोड़ कर बागवानी शुरू कर मिशाल कायम की। अब संस्थानों के छात्र और छात्राएं इनके यहाँ सीखने आ रहे हैं। शैलेंद्र जी ने बताया की २०२१ में आस्ट्रेलिया में पौधे का आर्डर मिला था लेकिन कुछ कारण से सप्लाई नहीं हो पाई। अब नए सिरे से पौधों को बाहर भेजने की तैयारी है।
अमरुद की बागवानी में फायदे की गणित
- एक एकड़ में 500 पौधे लगेंगे
- 3 साल बाद पौधे फल देंगे
- 1 पौधे में 50 किलो फल निकलेगा
- तीसरे साल से करीब एक लाख रूपये की आमदनी
- पौधे बढ़ने के साथ आमदनी बढती जाएगी
एक एकड़ अमरूद के बाग से सालाना 40-50 क्विंटल अमरूद मिल सकता है. अमरूद की खेती से एक एकड़ में 4 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है।
अमरूद की खेती से जुड़ी कुछ और बातें
- अमरूद के पेड़ से साल में दो बार फल मिलता है। एक पेड़ से करीब 40-50 किलो फल मिलता है।
- अमरूद के पौधे लगाने का सही समय जुलाई, अगस्त, और सितंबर का होता है।
- अमरूद के बाग लगाने के लिए बागवानी विभाग से जानकारी ली जा सकती है।
- अमरूद के बाग लगाने के लिए सरकार अनुदान भी देती है।
- अमरूद की खेती से पानी की बचत होती है।