Success Story: देश के सबसे अमीर हेलीकॉप्टर वाले किसान की सफलता का राज, जानिये खेती से कैसे सालाना 25 करोड़ रु कमा रहे

नौकरी छोड़ खेती से करोड़ो रु और सरकार से कई अवार्ड ले रहे किसान का नाम और किसान की सफलता का राज जानें।

देश के सबसे अमीर हेलीकॉप्टर वाले किसान

खेती करके भी लाखों करोड़ों रुपए कमाए जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको सही तरीके से खेती करनी पड़ेगी। बाजार में कैसे उत्पादन की ज्यादा कीमत मिलती है, कम खर्चे में खेती कैसे करें, इन सब चीजों का भी ध्यान रखना पड़ता है। जिसमें आज हम बात कर रहे हैं देश के सबसे अमीर किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी की, जिनका जन्म 12 जनवरी 1962 को बस्तर के एक गांव में हुआ था। जी हां हम छत्तीसगढ़ के बस्तर गांव की बात कर रहे हैं। डॉ राजाराम त्रिपाठी पहले नौकरी करते थे। जिसमें उन्होंने शुरुआत प्रोफेसर से की और फिर बाद में वह बैंक में नौकरी करने लगे। लेकिन अब खेती से सालाना 25 करोड़ रु कमा रहे। जिसके लिए उन्हें भारत सरकार ने 4 बार सर्वश्रेष्ठ किसान सम्मान मिला है।

जब वह बैंक की नौकरी करते थे तभी उन्हें किसानों की तकलीफ नजर आई, उन्होंने देखा कि किसान लोन लेकर उसे चुका नहीं पा रहे हैं और इस बात की जड़ पर जाने का उन्होंने प्रयास किया और किसानों को इसका हल निकालने के लिए उन्होंने खुद खेती करना शुरू किया और बैंक की नौकरी को इस्तीफा दे दिया। तो चलिए आपको बताते हैं किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी कैसे अमीर किसान बने और आज उन्हें हेलीकॉप्टर वाले किसान के नाम से जाना जाता है। क्योंकि उनके पास हेलिकॉप्टर भी है।

खेती के लिए लिया बैंक से लोन

किसान ने 1995 से खेती करना शुरू किया। जिसमें 1996 में उन्होंने एक ग्रुप बनाया। जिसका नाम मां दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप था। इस ग्रुप में उन्होंने आदिवासी किसानों को शामिल किया और औषधीय फसलों की खेती करने लगे। जिसमें उन्होंने बैंक से लोन भी लिया। जी हां उन्होंने सीधा 25 लाख का लोन बैंक से लिया और खेती की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि बैंक आफ इंडिया से उन्होंने लोन लिया और 5 एकड़ की जमीन में सफेद मुसली की खेती की। जिसमें उन्हें फायदा भी हुआ। लेकिन 2001 में उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया और एक करोड रुपए लिया जिसमें उन्हें घाटा हो गया है।

एक करोड़ का लोन लेकर सफेद मुसली की खेती की। क्योंकि 1500 से ₹1600 सफेद मुसली की कीमत जा रही थी। लेकिन उन्हें इसमें घाटा हो गया। क्योंकि कीमत गिरकर ₹400 किलो हो गई। जिसके बाद वह एक करोड़ का लोन नहीं चुका पाए और उनकी जमीन तक नीलाम हो गई। तो चलिए अब जानते हैं कि आखिर वह देश के सबसे अमीर किसान कैसे बन पाए।

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कैसे बने देश के सबसे बड़े किसान

करोड़ों रुपए का लोन और जमीन जाने के बाद भी किसान रुके नहीं और उन्होंने आगे बढ़ने का फैसला लिया। इसके बाद उन्होंने खेती का तरीका ही बदल दिया। जी हां उन्होंने एक ऐसी खेती शुरू की जिसमें लागत कम, लेकिन मुनाफा अधिक हो। दरअसल उन्होंने नेचुरल ग्रीनहाउस बनाया। इस ग्रीनहाउस को बनाने के लिए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया टीक के पेड़ लगाए। एक एकड़ में अगर ऑस्ट्रेलिया ठीक लगाएं तो 700 पेड़ लग जाएंगे। जिसमें उन्होंने पेड़ों के बीच वाले हिस्से में काली मिर्च की खेती की। क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ठीक पेड़ ऊंचे होते हैं और मिट्टी की उपजाऊ को बनाते हैं। इन पेड़ों की जहां पर खेती की जाती है तो बीच के हिस्से का तापमान 2 से 3 डिग्री गिर जाता है।

इसलिए उन्होंने बीच में काली मिर्च लगा दी और 90 फीट ऊपर तक काली मिर्च की बेल गई। जिससे अच्छा उत्पादन उन्हें मिलने लगा और काली मिर्च की कीमत भी अधिक मिली। उन्होंने बढ़िया वैरायटी का चयन किया। जिससे पैदावार अधिक मिल रही थी। इसके अलावा उन्होंने 22 तरह के औषधि फसल भी लगाए। इस तरह उन्होंने खेती के तरीके को बदला और उत्पादन की बिक्री करने का तरीका भी बदल दिया। तो चलिए बताते हैं वह निकलने वाले उपज को बेचते कैसे हैं।

कैसे करते है उत्पाद की बिक्री

जैसा कि जब उन्होंने करोड़ों रुपए का लोन लेकर सफेद मुसली की खेती की उस समय कीमत गिरने के बाद उन्हें नुकसान हो गया। अभी उन्होंने बिक्री करने का तरीका ही बदल दिया। जिसमें वह कांट्रैक्ट फार्मिंग करने लगे हैं। इसमें ऐसा होता है कि कंपनी और दाम दोनों तय होते हैं कि जो फसल हम लगा रहे हैं तो पैदावार किस कंपनी को देंगे और कितनी कीमत पर देंगे। तो इससे कीमत बढ़ती है तो भी किसान को अधिक फायदा नहीं होगा और कीमत घटती है तो भी नुकसान नहीं होगा। जिस कीमत पर कंपनी से बात होती है, उसी कीमत पर किसान उसकी बिक्री करते हैं। इससे कंपनी और किसान के बीच एक भरोसा कायम रहता है और किसान को किसी हालत में नुकसान नहीं होता।

इसके अलावा 10 से अधिक विदेश में भी अपने प्रोडक्ट को भेजते हैं। इसके लिए उन्हें सरकार से अवार्ड भी मिल चुका है। जिसमें काली मिर्च, आंवला आदि अन्य उत्पाद को प्रोसेस करके वह 10 से अधिक देशों में बिक्री करते हैं और आज उनके ग्रुप के साथ 700 से अधिक आदिवासी किसान जुड़े हुए हैं और 1000 से अधिक एकड़ जमीन में वह खेती का काम कर रहे हैं।

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नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद 

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