MP के किसानों को बूम स्प्रेयर मशीन पर मिल रही 4 लाख रुपए तक की सब्सिडी, जानिए आवेदन कैसे करें और कौन से दस्तावेज लगेंगे

On: Monday, August 25, 2025 11:00 AM
स्वचालित हाई ग्राउंड क्लियरेंस स्प्रेयर बूम टाईप मशीन पर अनुदान

MP के किसानों को स्वचालित हाई ग्राउंड क्लियरेंस स्प्रेयर बूम टाईप मशीन पर भारी सब्सिडी मिल रही है। इससे किसान अब खेतों में स्प्रे का काम आसानी से कर पाएंगे।

स्वचालित हाई ग्राउंड क्लियरेंस स्प्रेयर बूम टाईप

किसान एक अच्छी फसल लेने के लिए समय-समय पर छिड़काव करते हैं, ताकि फसल को कीटों और रोगों से बचाया जा सके। स्प्रे करने के लिए यदि किसानों के पास बढ़िया मशीन या कृषि यंत्र होते हैं, तो छिड़काव अच्छे से होता है। इससे सभी पत्तियों तक बराबर मात्रा में दवा पहुँचती है और समय भी कम लगता है।

इसी में स्वचालित हाई ग्राउंड क्लियरेंस स्प्रेयर बूम टाईप लंबी फसलों जैसे कि कपास, धान आदि में छिड़काव करने के लिए बहुत ही लाभकारी है। यह अपने आप चलने वाली मशीन है, जिससे किसान कीटनाशक या अन्य तरल पदार्थ ऊँची फसलों पर आसानी से छिड़क सकते हैं। इसका डिज़ाइन विशेष रूप से ऊँची फसलों के लिए किया गया है। इससे किसानों को मेहनत और लागत दोनों में कमी आती है। यह बहुमुखी क्षमता वाली मशीन है, जो किसानों को सब्सिडी पर उपलब्ध कराई जा रही है।

अधिकतम 4 लाख रुपए तक मिल रहा अनुदान

इस स्वचालित हाई ग्राउंड क्लियरेंस स्प्रेयर बूम टाईप मशीन पर अनुदान किसानों को 3 लाख रुपए से लेकर 4 लाख रुपए तक का मिल रहा है। इसके लिए किसानों को आवेदन करना होगा। सबसे पहले किसानों को संबंधित वेबसाइट पर जाकर पंजीयन करना होगा, उसके बाद वे आवेदन कर सकते हैं। बता दें कि 18 अगस्त 2025 से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।

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आवश्यक दस्तावेज और आवेदन की प्रक्रिया

किसान इस स्प्रेयर मशीन पर अनुदान का लाभ लेने के लिए ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के बाद लॉटरी निकाली जाएगी, जिसमें चयनित किसानों का नाम आएगा। आवेदन करने के लिए किसानों के पास निम्न दस्तावेज होने चाहिए:

  • आधार कार्ड
  • बैंक खाते का विवरण
  • जमीन के कागज, खसरा-खतौनी इत्यादि

सबसे ज़रूरी बात यह है कि किसानों को ₹5000 की डीडी (डिमांड ड्राफ्ट) भी बनवानी होगी। यह डीडी किसान अपने बैंक खाते से संबंधित जिले के सहायक कृषि यंत्री के नाम पर बना सकते हैं।

इस सब्सिडी योजना का उद्देश्य यही है कि किसान इस यंत्र को कम लागत में खरीद सकें और खुद उपयोग करने के साथ-साथ अन्य किसानों की मदद करके अलग से कमाई भी कर सकें।

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