जुलाई में कई लोग तिल की खेती करने वाले हैं, ऐसे में उन्हें सरकार की ओर से बीजों पर सब्सिडी मिल रही है, जिससे बीजों की कीमत कम हो जाएगी। तो आइए जानते हैं कि इसका फायदा किसे मिल रहा है।
तिल की खेती
तिल की खेती की लागत कम करने में सरकार किसान की मदद कर रही है। दरअसल, सरकार की ओर से बीजों पर सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा, तिल की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी की जाती है। यहाँ हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की, जहाँ तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹9846 है, यह प्रति क्विंटल कीमत बताई जा रही है। इस तरह, अगर किसानों को बीजों पर सब्सिडी मिलती है, और उत्पादन ज़्यादा होता है, तो वे कम लागत में अच्छी कमाई कर पाएँगे।
तिल के बीजों पर सब्सिडी
उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की ओर से किसानों को तिल पर सब्सिडी दी जा रही है, जिसमें कृषि विभाग का कहना है कि किसानों को ₹95 प्रति किलोग्राम की दर से सब्सिडी मिलेगी। इसके अलावा उन्हें खेती की विधि के बारे में भी बताया जाएगा, जिसमें बताया गया है कि तिल की प्रमुख किस्मों जैसे गुजरात तिल-6, आरटी-346, आरटी-351,आरटी-372, एमटी-2013-3, और बीयूएटीतिल-1 पर भी सब्सिडी दी जा रही है। यह अच्छी किस्में है।
किसानों वैज्ञानिक तरीके से लगाएं तिल
तिल की खेती से अच्छा उत्पादन पाने के लिए किसानों को वैज्ञानिक विधि अपनानी चाहिए। जिससे मेहनत भी कम लगे। किसानों को इसकी जानकारी कृषि विभाग में भी दी जायेगी। तिल की फसल 80 से 100 दिनों के बीच तैयार हो जाती है। जिसमें प्रति हेक्टेयर 4 से 6 क्विंटल उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। कुछ क्षेत्रों में, प्रति हेक्टेयर 8 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होता हैं।
तिल की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु अच्छी मानी जाती है। यदि जमीन की बात करें तो दोमट या हल्की रेतीली दोमट मिट्टी तिल के लिए अच्छी होती है। तिल की खेती अगर पंक्तियों में की जाए तो अच्छा रहेगा, पौधों की वृद्धि अच्छी होगी जिसमें दो पंक्तियों के बीच की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर और दो पौधों के बीच की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर रखी जा सकती है। इस तरह यहाँ तिल की खेती की व्यवस्थित विधि भी बताई गई है।