तालाब नहीं है तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। खेत में भी मखाना की खेती की जा सकती है। सरकार से सब्सिडी मिल रही है और मखाना की कीमत भी अच्छी-खासी है।
खेतों में मखाना की खेती
तालाब में मखाना की खेती के बारे में सभी को जानकारी है, लेकिन बता दें कि खेतों में भी मखाना की खेती की जा सकती है। इसके लिए राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र द्वारा ऐसे बीज विकसित किए गए हैं, जिन्हें खेतों में लगाया जा सकता है और आसानी से मखाना का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
इस प्रक्रिया में पहले मखाने की नर्सरी तैयार की जाती है और फिर उसकी रोपाई की जाती है। इसके बाद हार्वेस्टिंग होती है, जिसके लिए खेतों में मेड़ बनाई जाती है। फिर मखाना की खेती की जाती है, जिसमें दो फीट ऊँची मेड़ बनाकर उसमें डेढ़ फीट पानी भरकर, धान की तरह मखाना की खेती की जा सकती है।
मखाना की खेती पर सब्सिडी
किसानों को मखाना की खेती पर सब्सिडी दी जा रही है। बिहार सरकार मखाना विकास योजना चला रही है, जिसके तहत किसानों को ₹72,450 प्रति हेक्टेयर के अनुसार सब्सिडी मिल रही है। जो किसान अब तक तालाब में खेती कर रहे थे, वे अब खेतों में भी मखाना की खेती कर सकेंगे। खेतों में मखाना की खेती करने से उन किसानों को फायदा होगा जिनके पास तालाब की सुविधा नहीं है। वे खेतों में ही उचित व्यवस्था कर खेती कर पाएंगे।

मखाना की खेती में किसानों की आमदनी
अगर किसान अपनी आमदनी में बढ़ोतरी करना चाहते हैं, तो मखाना की खेती एक अच्छा विकल्प है। मखाना की खेती से किसान 1 एकड़ में लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं, क्योंकि इसकी कीमत अधिक होती है। 1 किलो मखाना थोक बाजार में किसान ₹600 तक में बेच रहे हैं, वहीं इसका खुदरा मूल्य ₹1000 से ₹1500 प्रति किलो बताया जा रहा है। कुछ बाजारों में मखाना ₹2500 से ₹3500 प्रति किलो तक बिक रहा है।
बिहार के अलावा अन्य राज्यों में भी मखाना की बिक्री ₹3000 प्रति किलो तक हो रही है। यदि किसान मखाना अमेरिका जैसे देशों में निर्यात करते हैं, तो वहां इसकी कीमत ₹8000 प्रति किलो तक मिल रही है। यानी विदेशों में ज्यादा आमदनी हो रही है। हालाँकि, इसमें खर्च भी होते हैं। किसानों के अनुसार, इसमें ₹15,000 से ₹25,000 तक खर्च आ जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद लाखों में कमाई होती है।
इस तरह, मखाना की खेती में किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। अगर खेतों में खेती की जाए, तो और भी अधिक फायदा हो सकता है और उत्पादन में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
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