मचान विधि से सब्जी की खेती करने के लिए किसानों को सरकार पैसा दे रही है। चलिए जानते हैं, योजना क्या है और किस तरह फायदा मिलेगा।
मचान विधि क्या है? इसके फायदे भी जानिए
मचान विधि से खेती करने पर कई तरह के फायदे होते हैं। जैसे कि उत्पादन में 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होती है। इतना ही नहीं, फलों का आकार बेहतर होता है और रंग भी अच्छा आता है। फसल बीमारियों से बची रहती है। उत्पादन की गुणवत्ता पहले से बेहतर होती है। कम जगह में ज्यादा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। कटाई भी आसान होती है और पानी की बचत होती है।
अब बात कर लेते हैं खेती के तरीके की। मचान विधि से सब्जी की खेती करने के लिए खेत में लकड़ी या लोहे के खंभे लगाए जाते हैं, जो 5 से 7 फीट ऊंचे होते हैं। इसके बाद बेल वाली सब्जियों या पौधों को मचान में लगाया जाता है, जिससे उन्हें सहारा मिलता है और वे आसानी से ऊपर फैल पाती हैं। इस तरह, जमीन पर फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती।

मचान विधि पर अनुदान
मचान विधि में किसानों को होने वाले फायदे को देखते हुए सहरसा उद्यान विभाग द्वारा किसानों को 50% अनुदान दिया जा रहा है। इसमें करीब 400 किसानों को मचान विधि से सब्जी की खेती करने के लिए 50% अनुदान मिलेगा। यानी आधा पैसा सरकार देगी, जिससे लागत कम हो जाएगी और छोटे किसानों को काफी फायदा होगा। कम जमीन और कम लागत में ज्यादा उत्पादन करके किसान आमदनी में वृद्धि कर पाएंगे।
अनुदान का फायदा लेने के लिए किसानों को आवेदन करना होगा, जिसके साथ कुछ दस्तावेज भी लगेंगे। आइए, इसके बारे में जानते हैं।
आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज
किसान आवेदन करने के बाद डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से अनुदान की राशि अपने बैंक खाते में प्राप्त करेंगे। आवेदन करते समय किसानों के पास आधार कार्ड, जमीन के कागज, बैंक विवरण इत्यादि दस्तावेज होने चाहिए।
कैसे मिलेगा योजना का फायदा?
मचान विधि पर अनुदान लेने के लिए किसानों को आवेदन करना होगा। पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर लाभ दिया जाएगा। किसान उद्यान विभाग सहरसा में संपर्क कर योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इस योजना में किसानों को 2250 रुपए का अनुदान मिलेगा। यह 125 वर्गमीटर में मचान बनाने पर दिया जाएगा, जिसकी कुल लागत लगभग 4500 रुपए बताई गई है। इसमें 50% अनुदान यानी कुल 2250 रुपए किसानों को मिलेगा। इससे आधा खर्च सरकार वहन करेगी। एक बार खेत में यह व्यवस्था कर दी जाए, तो यह कुछ सालों तक चल सकती है।