सोयाबीन के किसान रहे सावधान, पढ़ लें कृषि विभाग की सलाह, नहीं तो चौपट हो जायेगा काम। जिससे सोयाबीन की खेती में हो फायदा ही फायदा। नुकसान का मिट जाए नामोनिशान।
सोयाबीन के किसान
वह किसान जो सोयाबीन की खेती करने जा रहे हैं। उनके लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण लेख। उन्हें इस लेख में वह सारी जानकारी दी जाएगी जिससे वह सफलतापूर्वक सोयाबीन की खेती करके तगड़ी कमाई कर सकते हैं। आपको बता दे कि कृषि विभाग के अधिकारियों ने सोयाबीन के किसानों के लिए जरूरी एडवाइजरी जारी की है। जिसमें उन्होंने बताया गया है कि सोयाबीन की खेती कैसे करें, किन बातों का ध्यान रखें और किसी भी तरह से नुकसान होने से कैसे बचे तो चलिए नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानते हैं।
पढ़ लें कृषि विभाग की सलाह
सोयाबीन की खेती करते समय किन बातों का ध्यान रखें वह जानिए।
- सबसे पहले तो बुवाई का काम आता है तो उसके लिए किसान यह ध्यान रखें की बढ़िया क्वालिटी का बीज लगाएं। अगर बीज सही नहीं हुआ तो उन्हें उपज भी बढ़िया नहीं मिलेगी। इसके लिए कृषि विभाग का कहना है कि 70% अंकुरित बीज ही किसान खेतों में बोयें। यह आप खुद ही चेक कर सकते हैं। जैसे कि आप बीज लेकर आते हैं तो उसे अंकुरण कीजिए और अगर जितने बीज बोये हुए हैं उसका 70% भी अंकुरण हो जाता है तो आपका बीज बढ़िया है। साथ ही वहां से बीज खरीदना चाहिए, जिस दुकान पर आपको पूरा भरोसा हो।
- इसके बाद बीज की बुवाई से पहले बीज का उपचार जरूर कर लीजिए। इससे किसी भी तरह का रोग-कीट आदि की समस्या कम हो जाती है। जिसमें कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीजों का उपचार किसान एफआईआर कर्म में कर सकते है। इससे किसानों को आगे बढ़कर ज्यादा दिक्कत नहीं आएंगे। लेकिन अगर पीला मोजैक की समस्या आती हो तो थायोमिथाक्सम 30 एफएस या फिर इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस से उपचार करें। तो बढ़िया रहेगा।
- इसके अलावा कृषि विभाग का कहना है कि किसानों को सोयाबीन की दो से तीन किस्म जरूर बोनी चाहिए। इससे उन्हें फायदा ही होगा। जिसमें उन्होंने कुछ किस्म की जानकारी भी दी है। तो बता देजेएस 93-05,जेएस 95-60,आरवीएसएस-2011-35,एनआरसी-138, जेएस 2172,एनआरसी-127, जेएस 20-29, जेएस 9752,आरवीएस-2001- 04, जेएस 20-34, 142, 152, और 150 की बुवाई कर सकते हैं। इसमें किसानों को फायदा है इनमें से कोई दो से तीन किस्म किसान चुन सकते हैं।
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- सोयाबीन की खेती में किसानों को बुवाई की पद्धति का भी ध्यान रखना चाहिए। कई तरह की पद्धति है जिनके अनुसार किसान बुवाई कर सकते हैं। जिसमें रेज्ड बेड विधि भी बढ़िया होती है। मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दे कि अगर किसान एक हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती करते हैं तो सारे चार लाख पौधे आ जाते हैं। जिसमें लाइन में रोपाई करते हैं। जिसमें दो लाइन के बीच की दूरी 14 से लेकर 18 इंच के बीच होती है। ऐसा करने से क्या होता है कि पानी ज्यादा बरसे या कम इससे फसल को प्रभाव नहीं पड़ता है।
- इसके अलावा कोई भी खेती हो किसानों को खाद का पूरा ध्यान रखना पड़ता है। किसानों को सही मात्रा में खाद देना चाहिए। जिसमें नाइट्रोजन, पोटाश, सल्फर और फास्फोरस जैसे खाद किसान दे सकते हैं। जिसकी मात्रा की अगर बात करें तो नाइट्रोजन 25, फास्फोरस 60, सल्फर 20, और पोटाश 40 किलोग्राम एक हेक्टेयर में डालेंगे। किसान वहीं अगर एनपीके खाद डाल रहे हैं तो 200 किलोग्राम के साथ 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट 1 हेक्टेयर में डाल सकते हैं और डीएपी का अनुपात 133 किलोग्राम बताया गया है। इसके अलावा पोटाश और जिंक सल्फेट के बारे में क्रमशः 60 और 25 किलोग्राम बताया गया है।
इस तरह अगर सही मात्रा में खाद डालते हैं तो पौधों को नुकसान नहीं होगा। लेकिन डीएपी किसानों को ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे क्या होता है कि नाइट्रोजन तो पौधों में लग जाता है लेकिन फास्फोरस मिट्टी पर रह जाने के कारण यह मिट्टी के लिए नुकसानदायक होता है, और केमिकल वाली खाद का इस्तेमाल करने से धीरे-धीरे मिट्टी में उपजाऊपन कम हो जाता है। इसलिए किसानों को ज्यादातर जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर आप जैसिक खाद का चाहिए। लेकिन अगर जैविक खाद आपके पास उपलब्ध नहीं है तो केमिकल खाद का इस्तेमाल भी जरूरत के अनुसार करना चाहिए। नहीं तो धीरे-धीरे मिट्टी का उपजाऊ पर बिल्कुल खत्म हो जाएगा।