आज सफलता की कहानी में हम लेकर आए हैं सोनाराम की कहानी, जो आधुनिक खेती से 20 लाख सालाना टर्नओवर कर रहे हैं। अपने जिले के किसानों के लिए बने प्रेरणा स्रोत।
सोनाराम का परिचय
सोनाराम जी राजस्थान के सीकर जिले के रहने वाले हैं। वे 2017 तक पारंपरिक खेती करते थे जिसमें वे मुख्य फसलों की खेती करते थे, फसलें जैसे गेहूं, चना, जौ और सरसों। पर 2017 के बाद उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक खेती की ओर अपना रुख लिया। आइए जानते हैं उनकी आगे की कहानी।
पॉलीहाउस बनवाने सरकार ने दिया सब्सिडी
सोनाराम जी के पास 14 बीघा जमीन है, जिसके 4000 वर्ग मीटर क्षेत्र में उन्होंने पॉलीहाउस तैयार कराया। पानी के लिए उन्होंने पूरे खेत में ड्रिप सिंचाई तकनीक लगाई। पॉलीहाउस को बनवाने में उन्हें कुल 32 लाख रुपये की लागत आई, जिसमें से उन्हें अपनी ओर से केवल 10 लाख रुपये ही लगाने पड़े क्योंकि सरकार की सब्सिडी से उन्हें 22 लाख रूपए वापस मिल गए।

पॉलीहाउस में पहली फसल उन्होंने खीरा लगाया जिसमें उन्हें 2 लाख रुपये की लागत आई। खीरे की फसल से उन्हें उनके लागत से ज्यादा आमदनी हुई। सोनाराम जी ने बताया कि वे अपने पॉलीहाउस में 7000 पौधे लगाते हैं। वे खेत में प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल करते हैं, जिसे वे खुद बनाते हैं। खाद बनाने का प्रशिक्षण उन्होंने दुर्गापुरा अनुसंधान केंद्र पर जाकर सीखा है। उनकी खाद उनके फसल के लिए काफी उपयोगी साबित रही है, इस खाद से फसलों का उत्पादन भारी मात्रा में होती है, साथ ही फसल की गुणवत्ता भी इतनी बढ़िया होती है कि फसल काफी लंबे समय तक ख़राब नहीं होती है।
1 साल में दो बार फसल होती तैयार, सालाना टर्नओवर पहुंचा 20 लाख
पॉलीहाउस में फसलों का विकास बहुत तेजी से होता है क्योंकि उसके अंदर का वातावरण पौधों के विकास के लिए अनुकूल होता है। यहाँ खीरे के फसल 40 दिनों में तैयार हो जाता है। साल में दो बार खीरे की फसल तैयार हो जाती है। एक सीजन में 45 टन तक खीरे का उत्पादन हो जाता है। उनके खेत में खीरे के साथ और भी फसलें उगाई जाती हैं। उनके फसल की गुणवत्ता और प्राकृतिक तरीके से उगाई फसलों का भाव उन्हें उनके मन मुताबिक मिल जाता है।
जैसे जैसे साल बीतते गए, उनकी फसलों की मांग बढ़ती चली गई, जिससे उनकी आमदनी भी बढ़ती चली गई। साल 2023 में उन्हें उनके फसलों से 12 लाख रुपए की आमदनी हुई, जो दूसरे साल दोगुनी हो गई, और इस साल 2025 में उन्हें 20 लाख रुपए से अधिक का मुनाफा हुआ है।
उनकी आधुनिक खेती की सफलता के चलते उपखंड स्तर पर उन्हें सम्मानित भी किया गया है, जो उनके जिले के किसानों के लिए गौरव की बात है। उनके खेती करने के ढंग ने उनके जिले के कई किसानों को बहुत प्रभावित किया है।
यह भी पढ़ें – मध्य प्रदेश के किसान कृष्ण कुमार सिंह लाल चंदन की नर्सरी से सालाना कमा रहे लाखों रुपये, लोगों को कर रहे शिक्षित
नमस्कार! मैं पल्लवी मिश्रा, मैं मंडी भाव से जुड़ी ताज़ा खबरें लिखती हूं। मेरी कोशिश रहती है कि किसान भाइयों को सही और काम की जानकारी मिले। ताकि आप अपनी फसल सही दाम पर बेच सकें। हर दिन के मंडी भाव जानने के लिए KhetiTalks.com से जुड़े रहिए।













