इस लेख में धान की 2 नई किस्मों के बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है, जिसका उद्घाटन 4 मई 2025 को शिवराज सिंह ने किया है-
धान किसानों के लिए खुशखबरी
विभिन्न राज्य सरकारें एमएसपी पर धान खरीदती हैं, किसानों को धान का अच्छा दाम मिलता है, इसकी खेती में मुनाफा होता है, पारंपरिक तरीके से खेती आसानी से की जाती है, ऐसे में आज किसानों को दो नई किस्मों की जानकारी देने जा रही है। दरअसल, धान के किसानों के लिए यह एक बड़ी खुशखबरी है कि अब अन्य किस्मों की तुलना में ये दो नई किस्में 20 दिन पहले तैयार हो जाती हैं, अधिक उत्पादन देती हैं, सिंचाई भी कम होती है और 20 से 30% अधिक उत्पादन भी प्राप्त होता है, तो आइए जानते हैं इनके बारे में।
धान की 2 नई किस्मों का उद्घाटन
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 4 मई 2025 को दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में धान की दो नई किस्मों का उद्घाटन किया। यह जीनोम संपादित धान की किस्म है।
नई किस्मों से बढ़ेगी मुस्कान
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) May 4, 2025
समृद्ध होंगे देश के किसान
आज पूसा, नई दिल्ली में जीनोम-संपादित धान की दो किस्मों का लोकार्पण किया। pic.twitter.com/8uBGeNmiv4
मंत्री का कहना है कि इन नई किस्मों से किसानों की मुस्कान बढ़ेगी और किसान समृद्ध होंगे। तो चलिए नीचे लिखे दो बिंदुओं के आधार पर दोनों नई किस्मों के नाम, उन्हें विकसित करने वाली संस्था का नाम और उनकी खासियत पढ़ते हैं।
- कमला धान एक नई किस्म है जिसे हैदराबाद स्थित ICAR के भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। इस किस्म को जीनोम संपादित तकनीक से उन्नत किया गया है, जिसमें साइटोकिनिन ऑक्सिडेज 2 (CKX2) जीन को बदलकर हर बाली में दानों की संख्या को बढ़ाया गया है। अगर सामान्य परिस्थितियों में खेती करे तो 21.48 क्विंटल प्रति एकड़ और अनुकूल परिस्थितियों में खेती करें तो 36 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार मिल सकती है। यह किस्म 130 दिनों में तैयार। इसकी खासियत यह भी है कि यह सूखा सहिष्णुता है। जिससे किसानों चिंता मुक्त होंगे। इसके तने मजबूत होंगे। जिससे गिरने की समस्या कम आएगी।
- पूसा डीएसटी राइस-1 एक अन्य नई किस्म है। यह भी अच्छी किस्म है। जिसे दिल्ली के पूसा संस्थान के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। पूसा डीएसटी राइस-1 किस्म उन क्षेत्रों में भी अच्छा उत्पादन देगी जहाँ कि मिट्टी खारी या क्षारीय है। यानि कि ऐसी जगहों के किसान भी खेती से अच्छा उत्पादन ले पाएंगे। इस किस्म से किसानों को जलवायु और मिट्टी की समस्याओं से राहत मिलेगी। अगर खेत की मिट्टी अच्छी नहीं है तो इस किस्म का चुनाव करें।