सेम की खेती ऐसे करें तगड़ी होगी पैदावार, जानें सेम की बुवाई से लेकर कटाई तक की सही विधि

सेम की खेती (Sem ki Kheti) ऐसे करें तगड़ी होगी पैदावार, जानें सेम की बुवाई से लेकर कटाई तक की सही विधि।

सेम की खेती (Sem ki Kheti)

सेम की खेती करके भी किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए भी सही विधि पता होनी चाहिए। अगर सही तरीके से खेती करेंगे तो अधिक उत्पादन मिलेगा। फल की क्वालिटी अच्छी होगी। जिससे अधिक कीमत भी मिलेगी। तो चलिए इस‌ लेख के जरिए हम जानते हैं सेम की खेती कैसे करें, बीज की बुवाई से लेकर खाद, पानी, कटाई, सब की जानकारी।

सेम की खेती के लिए सही मिट्टी

फसलों की जरूरत के अनुसार मिट्टी का चयन करना चाहिए। सेम की खेती बढ़िया जल निकासी वाली जिवांस वाली बलुई दोमट, दोमट मिट्टी अच्छी होती है। जिसमें मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच हो तो बेहतर होगा। यहाँ पर ध्यान रखे की खेत में पानी न रखता हो। पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।

खेत की जुताई

बढ़िया उत्पादन लेने के लिए खेत की जुताई पर भी ध्यान दें। सेम की खेती के लिए पहले खेत की मिट्टी पलटे फिर हल से गहरी जुताई करें। इसके बाद मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए 10 – 15 टन पुरानी गोबर की खाद डाले और जुताई करें। फिर खेती को पाटा लगाकर, खेत मे पर्याप्त नमी हो तब बुवाई करें जिससे अंकुरण अधिक हो। तभी फायदा होगा।

सेम की खेती के लिए कितना तापमान चाहिए

किसी फसल की बुवाई से पहले यह जरूर पता करें की उसकी खेती किस जलवायु में करने पर बढ़िया उपज मिलेगी। जिसमें सेम की खेती की बात करें तो 18 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच का तापमान अच्छा होता है। इसके आलावा जिन क्षेत्रों में अगर 630-690 मिमी वर्षा होती है, तो भी सेम की खेती कर सकते है। उत्पादन सही मिलेगा।

बुवाई से पहले का जरूरी काम

बीज बोन से पहले किसानों को एक जरूरी काम करना चाहिए बीज का उपचार। इससे पैदावार अधिक मिलती है, रोग बीमारी का खतरा कम आता है। जिसके लिए फफूँदनाशी रसायन कार्बेन्डाजिम को करीब 2 ग्राम एक किग्रा बीज के हिसाब से उपचारित करें। उसके बाद बुवाई करें। कई तरह की समस्याएं इससे टल जाएंगी। चलिए सेम की खेती की आगे की जानकारी लें।

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सेम की खेती कैसे करें

नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानिये सेम की खेती कैसे करें।

  • किसान सेम की खेती अगर एक हेक्टेयर की जमीन में करते है तो करीब 20 से 30 किग्रा बीज लेना होगा।
  • इसकी खेती जुलाई से अगस्त के बीच में की जाती है।
  • किसान सेम की खेती समतल, उठी हुई मेड़, क्यारी में भी कर सकते है। क्योकि इसी कई किस्म आती है। जिनकी खेती करने का तरीका, स्थान अलग होता है।
  • जिसमें अगर किसान लता वाली या पोल टाइप किस्म लगा रहे है तो सो कतार एवं दो पौधो के बीच की दुरी 100 एवं 75 सेमी रखे।
  • लेकिन अगर खरीफ /पहाड़ी इलाको में खेती कर रहे है तो 45 से 50 सेमी x 8 से 10 सेमी दूरी रखे।
  • वह किसान जो रबी या वसंत में लगा रहे है तो 40 सेमी x 10 सेमी (सिंचित) इसके आलावा 30 सेमी x 10 सेमी वर्षा आधारित क्षेत्रों में करें। इससे बढ़िया उपज होगी।
  • सेम की फसल को सहारा देने के लिए रस्सी या लोहे के तार की मदद से ट्रेलिस बनायें और लताओं को उनपर चढ़ा दें। इससे सपोर्ट रहेगा। बढ़िया फसल होगी।

सेम की किस्में

नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार सेम की कुछ किस्मों के बारें में जानें।

  • बी.आर. सेम-11
  • पूसा सेम-2
  • जवाहर सेम-53
  • पूसा सेम-3
  • एचडी 1
  • काशी हरितमा
  • अर्का प्रधान
  • अर्का विस्तार
  • अर्का कृष्ण
  • अर्का भवानी
  • अर्का स्वागत
  • काशी खुशहाल।

किसान को अपने मंडी की मांग के अनुसार सेम की कुछ किस्मों का चुनाव करना चाहिए।

सेम की फसल के लिए खाद

सभी फसलों में अधिक उपज के लिए किसान भाई खाद का इस्तेमाल करते है। जिसमें सेम की बात करें तो इसके लिए 10-15 टन पुरानी गोबर खाद पहले देने के बाद 20 से 30 किग्रा नत्रजन, 40 या 50 किग्रा फास्फोरस और 40 या 50 किग्रा पोटाश डालें। यह मात्रा एक हेक्टेयर के आधार पर बताई गई है। जिसमें नत्रजन की आधी मात्रा को बचाकरदो बराबर भागों में बातें और एक भाग बुवाई के 20-25 दिन बाद वहीँ दूसरा भाग बुवाई के 35-40 दिन बाद टाप ड्रेसिंग के रूप में डालें। इससे फसल को बाद में भी पोषण मिलेगा। यहाँ पर सही तो यह रहेगा की खेत की मिट्टी की जाँच करायें उसके बाद जरुरत के अनुसार खाद दें।

सेम में सिंचाई

सेम की खेती में सिंचाई की बात करें तो अगर किसान बरसात के समय खेती करते है तो उन्हें अलग से पानी नहीं डालना पड़ेगा। बारिश के पानी से काम चल जाएगा। बस इस बात का ध्यान रखे की जब फसल में फूल, फल आये तब खेत में नमी रहे। नमी के आभाव में नुकसान हो सकता है। यानि कि इस नमी नहीं है तो हलकी सिंचाई करें ताकि खेतों में नमी रहे।

सेम की तुड़ाई कब करें

सेम की तुड़ाई और उसके भण्डारण पर भी किसानों को ध्यान रखना चाहिए। जिसमें अगर किसान सब्जी की मंडी में बिक्री करना चाहते है तो हरी फलिया ही तोड़ सकते है। जब वह नर्म, मुलायम और हरी रहती है। हरी तुड़ाई करेंगे तो लगभग 6 से 10 तुड़ाई कर सकते है। इनके सही भंडारण की बात करें तो किसान 0-1.6 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान पर 85-90 % सापेक्षिक आर्द्रता पर 14 से 21 दिन तक रख सकते है। अगर शुरुआत में अच्छे दाम नहीं मिल रहे है तो। चलिए जानें सेम की फसल से मिलने वाले उत्पादन के बारें में।

सेम की फसल से मिलने वाला उत्पादन

सेम की खेती अगर किसान सही तरीके से करते है, खाद-पानी-समय का ध्यान रखते है तो उन्हें अच्छा उत्पादन मिलेगा। जिसमें 150 से 370 क्विंटल एक हेक्टेयर से किसानों को हरी फलिया मिल जाती है। लेकिन इसके लिए किसानों को वैज्ञानिक विधि अपनानी होगी। परिस्थितियों का ध्यान रखना होगा। तभी अच्छा उत्पादन मिलेगा।

अगर किसान नहीं चाहते है कि उत्पादन घटे तो उसके लिए रोग-बीमारी-कीट आदि से फसल को बचाना होगा। जिसके लिए समय पर प्रबंधन करना होगा। फसल का निरिक्षण समय पर करें। एक पौधे में ही कोई कीट-बीमारी नजर आये तो उसका उपचार करें। जिससे पूरी फसल में ये समस्या न बढ़ने पाए। जिसके लिए खेतों में घूमकर फसलों को देखें।

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