गेहूं के बढ़ते भाव को देखते हुए सरकार ने लिया अहम फैसला। आइए जाने आखिर क्या करने जा रही है सरकार।
खुले बाजार में गेहूं की बिक्री को सरकार की मंजूरी
केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं के भाव नियंत्रित करने के लिए सरकार ने खुले बाजार में गेहूं की बिक्री की योजना बनाई जिसके चलते एक लाख टन गेहूं की बिक्री 4 दिसंबर को पहले सप्ताहिक ई-नीलामी हुई। इस साल इस नीलामी को बहुत लेट किया गया जबकि बीते कई साल में गेहूं की खुली बिक्री जल्दी कर दी जाती थी। इस साल नीलामी के चलते कर्नाटक, बिहार, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे कई सारे राज्यों के लिए 5-5 हजार टन गेहूं भेजा गया।
केंद्र सरकार द्वारा यूपी के लिए लगभग 14000 टन वहीं पंजाब के लिए 12500 टन इसके बाद पश्चिम बंगाल के लिए 7000 टन, असम के लिए 6500 टन, दिल्ली के लिए 5500 टन, मध्य प्रदेश के लिए 4000 टन तो वही झारखंड के लिए 3000 टन साथ ही तमिलनाडु के लिए 3000 टन की बिक्री कर दी है।
केंद्र सरकार ने खुली बिक्री के लिए नए नियम लागू किए
इस साल केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं की खुली बिक्री के लिए नए नियम लागू कर दिए हैं। इसका खास उद्देश्य यह है कि वास्तविक जरूरतमंद फ्लोर मिल्स वर्क प्रोसेसर को ही इसकी उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। अगर किसी भी मिल्स प्रोसेसर के पास गेहूं की ज्यादा अधिशेष स्टॉक पहले से ही उपलब्ध है तब उसको टेंडर की प्रक्रिया से बाहर किया जा सकता है।
इस कारण से बहुत से मिल्स में निराशा इतना ही नहीं इनका कहना है कि खाद्य निगम का यह नियम कुछ एक प्राइवेट पार्टियों के लिए अच्छा साबित हो रहा है जो कि इसकी खरीद से दूर रहेंगे वहीं खाद्य निगम ने बाकी राज्यों के लिए गेहूं बिक्री का कोटा आवंटित कर दिया है।
खुली बिक्री करने पर भी गेहूं के भाव नहीं हुए नियंत्रित
केंद्र सरकार की तरफ से खुली बिक्री करवाने के बाद भी गेहूं के भाव पर कोई असर नहीं पड़ा है। इस खुले में बिक्री की योजना का कोटा आवंटित करने से पहले गेहूं के भाव लगभग 2800 से 3100 रुपए के मध्य चल रहे थे जो अभी यहीं पर बने हुए हैं। इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने फिर नया आदेश जारी कर दिया है।
केंद्र सरकार का नया आदेश
केंद्र सरकार ने गेहूं के भाव को नियंत्रित न होते देखकर नया नियम जारी कर दिया है। इस नियम के दौरान केंद्र सरकार ने गेहूं के भाव नियंत्रित रखने के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा में संशोधन करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। बता दे उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने जारी किए हुए आदेश 2025 तक के लिए है।
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स्टॉक की लिमिट हुई तय
केंद्र सरकार की तरफ से 31 मार्च 2025 तक लागू गेहूं की स्टॉक सीमा को संशोधित करने का फैसला लिया जा चुका है। सरकार द्वारा अब 2000 मेट्रिक टन के स्थान पर 1000 मेट्रिक टन थोक व्यापारी एवं प्रोसेसर के लिए एक महीने का 60% स्टॉक की जगह 50% कर दिया गया है। भूख व्यापारी अब 2000 मेट्रिक टन के जगह पर 1000 मेट्रिक टन स्टॉक ही रख सकते हैं।
इस फैसले से गेहूं के भाव पर पड़ेगा असर
सरकार के इस फैसले के बाद में खुली बिक्री के बाद भी गेहूं के दामों पर कोई असर पड़ता नजर नहीं आ रहा है। वहीं जहां एफसीआई के टेंडर के न्यूनतम भाव 2300 से 2350 रुपए क्विंटल के ऑफर किए थे लेकिन इसके बावजूद नीलामी में गेहूं 2790 रुपए क्विंटल में बेचा गया है।
गेहूं के भाव में बढ़ोतरी के आसार
टेंडर विश्लेषको और कारोबारियो के अनुसार सरकार के पास गेहूं की कमी होना इसी बात से पता लग जाता है कि नाम मात्र का गेहूं प्रति हफ्ते बेचकर खुले बाजार का गेहूं महंगा होने में सहयोग किया जा रहा है। अगर ऐसे में तेजी को खत्म करना है तो गेहूं फ्लो में अर्थात अधिकतम गेहूं रिलीज होना ही चाहिए। आने वाले दो-चार दिन में गेहूं में ₹50 प्रति क्विंटल की महंगाई देखने को मिल सकती है। गेहूं के दामों में उछाल की संभावना जताई जा रही है।