पालना है तो 2 हजार रु किलो बिकने वाली मछली पालो, मछली की तरह चमक जायेगी किस्मत, यहाँ जानिये तलाब में कैसे पाले ये महंगी मछली। जिससे मछली पालकर हो सके मालामाल।
2 हजार रु किलो बिकने वाली मछली
मछली पालन भी एक अच्छा व्यवसाय है। इससे तगड़ी कमाई की जा सकती है। लेकिन अगर हम वह मछली पाले जिसकी डिमांड और कीमत ज्यादा है तो इसमें ज्यादा फायदा होगा। इसीलिए आज हम एक ऐसी मछली के बारे में जानने वाले हैं जो की 1200 से ₹2000 किलो बिकती है। आप जरा सोचिए अगर यह मछली पाल लेते हैं तो 1 किलो मछली बेचकर ही दिन में हजारों रुपए कमा सकते हैं। वहीं अगर बहुत सारा आर्डर मिल जाता है तो फिर रातों-रात मालामाल हो सकते हैं।
दरअसल, हम हिल्सा मछली की बात कर रहे हैं। जो की बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली है, और भारत की नर्मदा, गोदावरी, चिल्का, महानदी, रूपनारायण और हुगली नदी में पाई जाती है। लेकिन अब इसका पालन तालाब में भी कर सकते हैं। चलिए जानते हैं इस मछली के फायदे क्या है। इसके बाद हम यह भी जानेंगे कि तालाब में हिल्सा मछली कैसे पाले। उसको खाने के लिए क्या दें।
हिल्सा मछली के फायदे
हिल्सा मछली इतनी महंगी है और यह बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली है तो जरूर इसकी कोई खासियत होगी। तो बता दे कि यह सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होती है। इस मछली के सेवन से दिमाग और ज्यादा डेवलप होता है, ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में भी यह काम आती है। इतना ही नहीं हिल्सा मछली खाने से स्ट्रोक, कैंसर, डिप्रेशन के साथ-साथ दिल की बीमारियां का खतरा भी कम होता है। यानी कि यह बड़ी-बड़ी गंभीर बीमारियों को दूर रखने में काम आती है।
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तालाब में कैसे पाले हिल्सा मछली
हिल्सा मछली नदियों में पाई जाती है। लेकिन अब वैज्ञानिकों के सफल प्रयास के कारण इसे तालाब में भी पाला जा सकता है। जिसमें हाल ही में हुए शोध में देखा गया कि हिल्सा मछली का वजन 689 ग्राम रहा। इस तरह यह शोध सफलतापूर्वक हुई और तालाब में भी हिल्सा मछली पाली जा सकती है, यह पता चला। जिसमें मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दे कि यह आईसीएआर-एनएएसएफ प्रोजेक्ट था, जिसमें दूसरे चरण में हिल्सा के ब्रूड स्टॉक को बढ़ाने का उद्देश्य रखा गया। जिसमें हिल्सा के बीजों को कई तालाबों में डाला गया। जिसमें 3 सालों में मछली का इतना वजन हुआ।
जिसमें उन्होंने पानी की क्वालिटी तकरीबन 0.4 से 0.5 पीपिटी का खारापन रखा और 800 से 1000 सेमी मीठे पानी की मात्रा रखी गई। इसके अलावा पानी की छारीय स्थिति की बात की जाए तो पीएच मान 7.4 से 7.5 के बीच रहा है। वही ऑक्सीजन दर 7.4 से 7.5 मिलीग्राम प्रति लीटर रही। जिसकी वजह से हिल्सा मछली को पालने में उन्हें सफलता मिली। चलिए जानते हैं उन्होंने हिल्सा मछली को खाने में क्या दिया।
हिल्सा मछली को खाने को क्या दें
जैसा की अब यह मान लिया गया है कि हिल्सा मछली एक्वाकल्चर के लिए बढ़िया है। इसका पालन करके अच्छी खासी कमाई की जा सकती है। जिसमें उन्होंने उसे खाने के लिए विशेष रूप से भोजन तैयार किया। जिसमें जीवित जुप्लांकटन दिया गया। बता दे की यह उन्हें अच्छा लगता है। इसके अलावा जैसा कि हमने ऊपर बताया पानी की व्यवस्था किस तरह से की गई थी। तो इन सब चीजों का ध्यान रखा। इस तरह जो लोग हिल्सा मछली का पालन करना चाहते है वह भारत की सरकार के राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान हैदराबाद के साथ नेशनल फिश सीरीज डेवलपमेंट बोर्ड की सहायता लेकर इस मछली का पालन करके अपनी आमदनी अच्छी खासी बढ़ा सकते हैं।