राजस्थान में अनार और सेब की खेती कर रचा इतिहास, महिला किसान संतोष खेद्दार की सालाना टर्नओवर 30 लाख तक पहुंची

On: Saturday, November 1, 2025 3:01 PM
SUCCESS STORY

आज सफलता की कहानी में हम लेकर आए हैं राजस्थान की महिला किसान संतोष खेद्दार जी की  कहानी, जो फलों की खेती से सालाना 30 लाख तक कमा रही हैं। 

संतोष खेद्दार जी का परिचय 

संतोष खेद्दार जी राजस्थान की सीकर जिले के गांव बेरी की रहने वाली हैं। उनके पति  होमगार्ड की नौकरी करते थे। उनके तीन बच्चे जब स्कूल चले जाते और पति ड्यूटी ,तो वे अकेले घर पर सोचती थीं कि उन्हें भी कुछ करना चाहिए। उनके मायके के लोग खेती से जुड़े थे। उन्हें खेती का ज्ञान था, पर वे कहां से शुरुआत करें समझ नहीं पा रही थीं। 

खेती की शुरुआत कैसे की

संतोष खेद्दार जी के पति जहां होमगार्ड की ड्यूटी करते थे, वहां पर उनके मालिक ने अनार के पौधे लगवाए थे। लेकिन पौधों में फल नहीं आए। यह बात संतोष जी को मालूम हुई, तो उन्होंने सोचा कि क्यों न वे खुद अनार के पौधे लगाकर देखें। जिसके बाद वे सीकर के उद्यान विभाग से अनार के पौधे लेकर आई। 

उन्होंने 5 एकड़ ज़मीन में 220 अनार के पौधे बोए। वे किसान परिवार से थीं, इसलिए उन्हें  पता था कि खाद कैसे बनाई जाती है और अगर रोग लग जाए तो पौधों को कैसे बचाए। उन्होंने जैविक खाद और स्प्रे भी खुद से बनाकर अपनी खेती में प्रयोग किया। जैसे जैसे पौधे बड़े होते गए, उन्होंने कटिंग की। सही देखभाल मिली जिसकी वज़ह से अनार के साइज भी अच्छा निकला। उनके एक अनार के पौधे से 25 किलो तक अनार आने लगे। 

उनके अनार की खबर हर तरफ फ़ैल गई। सभी उनकी सराहना करने लगे क्योंकि राजस्थान में अनार उगाना आसान बात नहीं थी। इसके लिए उन्हें अधिकारियों से 25,000 हज़ार रुपये का इनाम भी मिला।   

पहले ही फसल से होने लगी लाखों में कमाई 

पहली फसल जब निकली, तब उन्हें बेचने में थोड़ी परेशानी हुई। वे अपनी फसल मंडी लेकर गई तो अनार की क्वालिटी और स्वाद अच्छी होने के कारण अनार रुकी नहीं तुरंत बिक गए। उन्हें 3 लाख रुपये की आमदनी हुई। दूसरे साल से उन्हें फल जाकर नहीं बेचने परे ग्राहक और व्यापारी खेत से फल खरीद कर लेकर जाने लगे। अनार के खेती की सफलता के बाद उनके पति ने नौकरी छोड़ दी और अपना पूरा समय बागवानी में लगा दिया। 

अनार की खेती सफल होने के बाद उन्होंने सेब की खेती की शुरुआत की। ये सेब की खेती का विचार उन्हें सुंदाराम वर्मा जी ने दिया,जो कि किसानों को मार्गदर्शन देते हैं। उनके पास सेब की हरिमन 50 नाम की किस्म के पौधे आये थे, जिसको पद्मश्री किसान हरिमन शर्मा ने तैयार किया था, जिन्हें एप्पल मैन से जाना जाता है। ये सेब 50 डिग्री तक के वातावरण में उगाया जा सकता है, जो की राजस्थान के वातावरण को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह सेब का एक पौधा संतोष खेद्दार को मिला, उन्होंने इस सेब के पौधा को अपने खेत में लगाए। संतोष जी ने सेब के पौधा से सफलतापूर्वक फल ऊगा लिया। 

इस एक पौधा के फल से उन्होंने दूसरे पौधे तैयार किए और एक नर्सरी का निर्माण किया। नर्सरी की शुरुआत इसलिए की क्योंकि वे चाहती थीं कि ज्यादा से ज्यादा किसान तक यह पौधे पहुंच सके। कुछ समय बाद उनकी नर्सरी NHB(NATIONAL HORTICULTURE BOARD) द्वारा रजिस्टर्ड हो गई। जिससे किसानों को पौधे खरीदने पर सब्सिडी मिलने लगी। 

अभी उनकी सालाना आमदनी 30 लाख तक हो रही है। उनके इस सफर में बहुत परेशानियां आई पर उन्होंने हार नहीं मानी। जिसके वजह से आज वे हजारों किसानों के लिए प्रेरणा बन गई हैं और अब राजस्थान के किसान बागवानी खेती करने से कतराते नहीं हैं। 

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