सरकारी नौकरी की तैयारी छोड़ बने किसान, राजस्थान के गौरव पचौरी ने मोती की खेती से 2 साल में कमाए 1.25 करोड़ रुपये

On: Wednesday, October 8, 2025 2:00 PM
success story

आज हम बात करेंगे राजस्थान के रहने वाले किसान गौरव पचौरी जी की जिन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी छोड़कर मोती की खेती को चुना। जिससे वे 2 साल में 1.25 करोड़ तक कमा रहे हैं।

कौन है गौरव पचौरी

 गौरव पचौरी राजस्थान के रहने वाले हैं। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। जिसके बाद वे सरकारी नौकरी की तैयारी करने लगे। चार साल तक लगातार उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी की पर उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही थी। जिसके बाद सरकारी नौकरी की तैयारी छोड़कर उन्होंने सोचा कुछ और किया जाए, जिससे उनके करियर को एक मोड़ मिले और उनकी अपनी पहचान बने।

मोती की खेती का आइडिया कहां से आया

वे हमेशा टीवी पर और अखबारों व सोशल मीडिया पर ऐसे न्यूज़ ज्यादा देखते थे,जिनमें नई चीजों की खेती और आइडिया बताए जाते थे। मोती की खेती के बारे में भी उन्होंने टीवी पर ही देखा। उन्होंने टीवी पर देखा कि मीठे पानी में मोती की खेती से अच्छी आमदनी की संभावना होती है, हालांकि इस काम में परेशानियां भी बहुत होती हैं, पर किसी भी काम को पूरा करने से पहले परेशानियां तो आती ही हैं। संयम और धैर्य की जरूरत होती है, जो उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी के दौरान सीख लिया था। तो बस उन्होंने मोती की खेती करने का मन बना लिया।
वे एक किसान परिवार से हैं। उनका परिवार पारंपरिक फसल गेहूं और बाजरा जैसी फसलों की खेती करता है। पर हर एक परिवार में जैसे होता है कि बेटा एक अच्छी पोस्ट वाली नौकरी करे, बिल्कुल वैसा ही गौरव का परिवार चाहता था। इस हालत में गौरव पचौरी ने जब अपने परिवार वालों को बताना कि वे नौकरी की तैयारी छोड़कर मोती की खेती करना चाहते है तब उनका परिवार सहमत नहीं था। क्योंकि यह नई किस्म की खेती में रिस्क ज्यादा थी और सफलता के चांस भी कम थे। पर गौरव पचौरी ने उन्हें मना लिया और यह रिस्क ले लिया और मोती की खेती की जानकारी इकट्ठा करने में जुट गए।

जलीय कृषि संस्थान CIFA की ट्रेनिंग ने जिंदगी बदल दी

 मोती की खेती की तकनीक सीखने के लिए उन्होंने ओडिशा के केंद्रीय मीठे पानी के जलीय कृषि संस्थान (CIFA) से पाँच दिवसीय प्रशिक्षण लिया। वहां उन्हें कच्चा माल कैसे इकट्ठा करें, मसल्स को कैसे न्यूक्लिएट करें, मसल्स को क्या खिलाया जाता है और उनकी सर्जरी कैसे की जाती है, यह सब तकनीक उन्हें सिखाई गई। और यह भी सिखाया गया कि डिजाइनर मोती और गोल मोती कैसे बनाया जाता है।
इस ट्रेनिंग में उन्हें 8000 रुपए लगे जिसमें उन्हें मोती की खेती करने का प्रमाणपत्र भी मिला। इस ट्रेनिंग ने उन्हें आत्मविश्वास से भर दिया, जिसके बाद उन्होंने मोती की खेती की शुरुआत कर दी।

खुद के मोती फार्म से 1.25 करोड़ का टर्नओवर

यह काम चुनौतियों भरा था। जैसा कि हम जानते हैं, राजस्थान का मौसम सामान्य खेती के लिए मुश्किल होता है, तो यह तो असामान्य मोती की खेती थी। ओडिशा से मसल्स राजस्थान लाना बहुत मुश्किल भरा काम था, पर उन्होंने अपना दिमाग लगाकर सर्दी का मौसम चुना, जिसमें मसल्स को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। शुरुआत उन्होंने छोटे स्तर से करने की सोची थी, पर जब उन्होंने किसानों को मोती की खेती की बात बताई तो किसानों ने रुचि ली और वे निवेश करने के लिए तैयार हो गए।

गौरव ने भरतपुर के अपने गाँव में अपनी डेढ़ बीघा ज़मीन में 150 x 80 फीट का एक तालाब तैयार किया और उसमें 1.15 लाख सीपियाँ डालीं। उन्होंने किसानों के साथ मिलकर 21 लाख लगाकर मोती की खेती की शुरुआत की। सीपियों को तालाबों में छोड़ने के बाद डेढ़ महीने देखभाल की जरूरत पड़ी। सही समय पर चारा डालना और ऑक्सीजन की कमी नहीं होने देना, इन सब चीजों का बारीकी से ध्यान रखना पड़ा।
आखिर 21 महीने की कड़ी मेहनत और इंतजार के बाद उन्हें सफलता मिल ही गई। उनके प्रति मोती 110 रुपये में बिकने लगे। पहले की बार में उन्हें कुल 1.25 करोड़ रुपये की बिक्री हुई। जिसमें उनका 80 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ। इतना मुनाफा देखकर उनके परिवार वाले और किसान भाई संतुष्ट हो गए। जिसके बाद उन्होंने राजस्थान के 3 और पश्चिम बंगाल के 1 तालाब में अपनी मीठे पानी की मोती की खेती की शुरुआत कर दी है। और अपने साथ किसानों को भी रोजगार दिया।

इनकी इस सफलता से यह प्रेरणा मिलती है कि जीवन में समय की अहमियत को समझना जरूरी है। जिस काम में मन लगे, उसको चुनने से आप बस आगे बढ़ते चले जाते हैं और ऐसे मुकाम पर पहुंच जाते हैं कि अपने साथ अपने आसपास के लोगों के लिए भी नए रास्ते खोल देते हो।

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