राजस्थान के किसान अमर सिंह आंवला की खेती से बने लखपति

On: Wednesday, October 29, 2025 6:04 PM
SUCCESS STORY

आज सफलता की कहानी में हम ले कर आए हैं राजस्थान के अमर सिंह की कहानी, जिन्होंने आंवले की खेती से इतिहास रच दिया है। 

अमर सिंह का परिचय 

अमर सिंह राजस्थान के भरतपुर जिले के पेंघोरे गांव के रहने वाले हैं। अमर सिंह के पिता किसान थे, जिसके कारण उन्हें  खेती की जानकारी तो थी, पर वे खेती नहीं करते थे। वे ऑटो चलाते थे। पर अचानक पिताजी के देहांत के बाद उनके ऊपर खेती की सभी जिम्मेदारी आ गई, जिसके बाद उन्होंने खेती की ओर अपना रुख किया।   

आंवले की खेती का विचार कैसे आया 

अमर सिंह को आंवले की खेती का विचार अखबार से आया। उन्होंने आंवले की खेती के बारे में अखबार में पढ़ा, जिसके बाद उन्होंने इसके बारे में जानकारी इकट्ठा करनी शुरू कर दी।

आंवला सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसे बहुत सी सेहत से संबंधित समस्याओं में उपयोग किया जाता है। आंवला खून की कमी,डायबिटीज से लेकर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के साथ ही त्वचा एवं बालों की सौंदर्य को भी बरकरार रखता है। इसकी बहुत मांग होती मार्केट में। 

अमर सिंह एक कृषि प्रदर्शनी में गए थे, वहां भी उन्होंने आंवले के फायदे के बारे में जाना, जिसके बाद उन्होंने आंवला की खेती का विचार किया। उन्होंने भरतपुर के बागवानी विभाग से 1200 रुपए में 60 आंवले के पौधे मंगवाए, जिन्हें उन्होंने 2.2 एकड़ ज़मीन में बोया। एक साल बाद उन्होंने 70 और पौधे मंगवा के लगाए। 5 साल में उनके पौधे फल देने लगे। एक पौधे से लगभग 10 किलो तक फल निकलने लगे। 

खुद का अमृता नाम से ब्रांड बनाया 

आंवले की खेती से उन्हें लगभग रु 7 लाख तक की आमदनी होने लगी। कच्चा आंवला कम भाव में बिकता था, पर अवले का मुरब्बा ज्यादा दाम में बिकता था, इसलिए उन्होंने अमले का मुरब्बा भी बनाना शुरु  कर दिया। मुरब्बा बनाना उन्होंने भरतपुर की मुरब्बा फैक्ट्री में जाकर सीखा, जिसके बाद उन्होंने खुद की फैक्ट्री की शुरुआत की, जिसका नाम उन्होंने अमृता रखा।

शुरुआत में उन्होंने अपने मुरब्बे को गाँव – गाँव जाकर बेचा। उनके मुरब्बे की क्वालिटी अच्छी होने के कारण मार्केट में डिमांड होने लगी, जिससे से भरतपुर के बड़े  व्यापारियों से भी आर्डर आने लगे। अमृता मुरब्बा दूसरे जिलों में भी जाने लगे जैसे राजस्थान के कई जिलों कुम्हेर, भरतपुर, टोंक, दीग, मंडावर और महुआ।

अमर सिंह अपने मुनाफे का 40% खेती में नई टेक्नोलॉजी लाने में लगा दिया। उन्होंने अपने खेत में सोलर यूनिट, कंपोस्ट पिट और गोबर गैस प्लांट भी स्थापित किया। उन्हें  FASSAI से लाइसेंस मिली और उन्होंने अपनी यूनिट को फिर से अमर मेगा फूड प्राइवेट लिमिटेड के नाम से रजिस्टर्ड कराया। उनकी कंपनी खेती, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और ट्रांसपोर्टेशन से भी जुड़ी हुई है,जिसमें वे पुरषों के साथ महिलाओं  को भी रोजगार दे रहे हैं। 

इन सब के बाद उन्होंने बकरी पालन में भी अपने पैसे लगाए है। उनकी आंवला की खेती, फैक्ट्री और बकरी पालन से उनको सालाना रु 26 लाख तक की आमदनी हो रही है। अमर सिंह की यह सफलता नए विचारों को सही दिशा देने का परिणाम है। उनके आस पास के किसान उनसे बहुत प्रभावित हैं।

ये भी पढ़ें बिना जमीन के भी रांची के किसान शक्ति कमा रहे हैं लाह की खेती से सालाना 4 करोड़ तक