किसानों के लिए पूसा की नई महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी,पराली से लेकर खेत  प्रबंधन तक की सलाह 

On: Monday, November 24, 2025 9:32 PM
पूसा एडवाइजरी

किसानों के लिए पूसा नई दिल्ली ने किसानों के लिए महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है, जिसमें मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने, रोग किट नियंत्रण, पराली न जलाने और समय पर बुवाई जैसी सलाह शामिल है। आइए जानते है पूरी खबर। 

गेहूं और सब्जियों की बुवाई के लिए सलाह 

फसलों के लिए सलाह यह है कि गाजर की –

  • यूरोपियन किस्मों जैसे नॅटीस, पूसा यमदागिनी, मूली की यूरोपियन किस्मों जैसे हिल किन, जापानी व्हाईट, पूसा हिमानी, चुकंदर की किस्म क्रिमसन ग्लोब और शलगम की पीटीडब्लूजी की बुवाई करने का यह बेहतर समय है। 
  • वहीं आलू के पौधों की ऊंचाई अगर 15 से 22 सेमी हो जाए या फिर बुवाई के 30 से 35 दिन बाद उनमें मिट्टी चढ़ाने का काम संपन्न करें। 
  • पत्तेदार सब्जियों में सरसों साग पूसा साग-1, पालक की किस्म ऑल ग्रीन, पूसा भारती, बथुआ की किस्म पूसा बथुआ-1, मेथी की किस्म पूसा कसुरी और धनिया पत्ता हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई करें। समय पर बोई गई सरसों की फसल में बगराडा किट की लगातार निगरानी करते रहें और खरपतवार की सफाई करते रहें। 
  • गेहूं की बुवाई मौसम को ध्यान में रखकर करें, बुवाई के लिए खाली खेतों को तैयार करके उन्नत बीज और खाद का चुनाव करें। पलेवे के बाद अगर खेत में ओट आ गई है तो उसमें गेहूं की बुवाई कर सकते हैं। 
  • मटर की बुवाई तापमान को ध्यान में रखकर करें। मटर की उन्नत किस्में एपी-3,बोनविले ही लगाएं। बीजों को पहले केप्टान या थाइरम जैसे कवकनाशी से 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचार करें। इसके बाद फसल के अनुसार राइजोबियम कल्चर का टीकाकरण जरूर करें। गुड़ के पानी को उबालकर ठंडा कर लें, इसमें  राइजोबियम मिलाकर बीजों पर लगाएं और बीजों को छाया में सुखा लें और अगले दिन खेत में बुवाई कर दें। 

गेहूं की उन्नत प्रजातियां

जिन खेतों में सिंचाई हो चुकी हो वहां के लिए गेहूं की सबसे अच्छी किस्म रहेगी (एचडी 3385), (एचडी 3386), (एचडी 3298), (एचडी 2967), (एचडी 3086), (एचडीसीएसडब्लू 18), (डीबीडब्लू 370), (डीबीडब्लू 371), (डीबीडब्लू 372), (डीबीडब्लू 327). गेहूं के बीजों की मात्रा प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम डालें। किसान भाई ऊपर दी गई किस्मों की बुवाई कर अच्छी उत्पादन ले सकते हैं। 

पराली न जलाएं

किसानों को सलाह दी गई है कि खरीफ फसलों के बचे हुए अवशेषों को न जलाएं क्योंकि इससे वातावरण प्रदूषित होती है, और सूरज की रोशनी ढक जाती है जिससे फसलों तक धूप नहीं पहुंच पाती है। इससे फसलों के उत्पादन और गुणवत्ता पर बुरा असर पडता है। पराली को जमीन में मिला दें, इससे मिट्टी की उपजाऊता बढ़ेगी साथ ही मिट्टी में नमी बनी रहती है। धान की पराली को सड़ाने के लिए पूसा  डीकंपोजर कैप्सूल 4 कैप्सूल/हेक्टेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं।   

दीमक लगने पर इन दवाओं का करें प्रयोग 

किसान भाइयों को दीमक के प्रकोप होने पर क्लोरपाईरिफॉस 20 ईसी, 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ इस्तेमाल करें, साथ ही नाइट्रोजन,फास्फोरस और पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120,50 और 40 किलोंग्राम प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए। 

पूसा की ओर  से दी गई ये सलाहें किसान भाइयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

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