पंजाब के अमृत सिंह चहल जीरो बजट खेती से मुनाफे के साथ मिट्टी और दुर्लभ बीजों का संरक्षण करके किसानों के लिए बने प्रेरणा

On: Tuesday, November 4, 2025 1:47 PM
PUNJAB FARMER SUCCESS STORY

आज हम किसान की सफलता की कहानी में लेकर आए हैं पंजाब के रहने वाले किसान अमृत सिंह चहल जी की कहानी, जो की जीरो बजट खेती से अच्छी आमदनी कर रहे हैं। 

अमृत सिंह चहल का परिचय 

अमृत सिंह चहल पंजाब के वाहेगुरुपुरा गांव के रहने वाले हैं। उनकी उम्र 36 साल है। वे नौकरी में थे, पर उन्होंने 2017 में नौकरी छोड़ दी और अपने पिता जी के खेत में जीरो बजट खेती करने का विचार किया। उनके पिता जी रासायनिक खेती अपनाकर पारंपरिक फसलें लगाया करते थे,पर अमृत जी ने अपने खेत की 8 एकड़ जमीन में जीरो बजट खेती शुरु की। और वे विलुप्त होते बीजों को भी अपने खेत में उपजा कर उन्हें विलुप्त होने से बचा रहे हैं। 

जीरो बजट खेती अपनाकर कर रहे खेती 

अमृत जी के पास 15 एकड़ जमीन हैं, जिसमे से वे 8 एकड़ ज़मीन में जीरो बजट खेती करते हैं। बचे हुए 7 एकड़ ज़मीन में वे गेहूं और धान जैसे पारंपरिक फसलें उगाते हैं। इन फसलों को वो सहेज करके रखते हैं और सही समय आने पर उन्हें बेचते हैं ,जिसके वजह से उनको मुनाफा ज्यादा होता है। 

अगर जीरो बजट खेती की बात करें तो इसमें किसान जीवामृत का इस्तेमाल करते हैं, जो कि देशी गाय के गोबर,मूत्र और पत्तियों से बनाई जाती है। इस खेती में कीटनाशक और ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे लागत कम आती है। इसलिए इसे जीरो बजट खेती कहा जाता है। इस खेती से उगाई हुई फसलें ज्यादा दिन तक ख़राब नहीं होती है। 

अमृत जी के खेत में 8 तरह की दालें, पांच तरह की तिलहन,विलुप्त होते गेहूं,चावल,दो दर्ज़न फल और 7 किस्म की सब्जियां उगाई जाती हैं। वे अपनी फसलों को कीटों से प्राकृतिक तरीके बचाते हैं और मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए वे हरी खाद और दलहनी फसलों के बचे हुए अवशेषों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है और फसल का विकास बढ़िया होता है। 

जीरो बजट खेती में खर्च कम, आमदनी ज्यादा होता है

जीरो बजट खेती में खाद और कीटनाशक की जरूरत नहीं होती हैं, जिसकी वजह से लागत कम आती है और उत्पादन व गुणवत्ता बढ़िया होती हैं। जिससे आमदनी ज्यादा होता है। इस खेती में फसल बहुत समय तक ख़राब नहीं होती, जिसकी वजह से उन्हें संरक्षित करने में आसानी होती है और वे लंबे समय तक सुरक्षित रहती हैं। अमृत सिंह ने 15 किस्म के टमाटर,12 किस्म के बैंगन,16 किस्म की मिर्ची,काली आदि जैसे सब्जियों की किस्मों को संरक्षित किया है।

उन्होंने 150 से ज्यादा बीजों का बीज बैंक बनाया है, जिसमें वे वीणा कद्दू, डमरू और तुम्बी कद्दू जैसी दुर्लभ किस्में, पांच रंगों वाली गाजर के बीज और बहुत कुछ बेचते हैं। 

उनकी इस खेती से वे पर्यावरण,मिट्टी और आने वाली पीढ़ी का भी ख्याल रख रहे हैं, जो कि एक सराहनीय बात है।   

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