किसान भाइयों अगर बासमती धान लगाया है तो आपको बकानी रोग के बारे में जरूर पता होना चाहिए तो चलिए जानते हैं कब-कब कौन सा समाधान कर सकते हैं-
बासमती धान में बकानी रोग की समस्या
कई ऐसे किसान है जिन्होंने बासमती धान की खेती की है क्योंकि इसकी खुशबू और स्वाद उन्हें पसंद है। इसके अलावा कुछ किसान धान की अधिक कीमत लेने के लिए बासमती वैरायटी का चयन करते हैं। जिससे अधिक कमाई होती है। जिसमें यहां पर हम जानने जा रहे हैं कि बासमती धान में अगर बकानी रोग लगता है तो उसके लिए क्या करना चाहिए।
बकानी रोग की बात करें तो इससे पौधे असामान्य रूप से बड़े होते जाते हैं, और धीरे-धीरे सूख जाते हैं। जिससे उत्पादन में कमी देखने को मिल सकती है। तथा संक्रमित पौधों की जड़ों पर घाव भी हो जाते हैं, दाने ठीक से नहीं भरते हैं। इस तरह की कई समस्याएं देखने को मिल सकती है।
रोपाई के पहले क्या करना चाहिए
यहां पर हम यह तो जानेंगे कि बकानी रोग से बचने के लिए रोपाई के बाद कौन सा उपाय करना चाहिए, लेकिन उससे पहले रोपाई के पहले के बारे में जान लेते हैं। जिन किसानों ने अभी धान की खेती की शुरुआत की है तो बता दे की सबसे पहले तो आपको यह ध्यान रखना है कि बीज जहां से ले रहे हैं वह पंजीकृत दुकान हो, उसके बाद बीज का उपचार करें, कार्बेंडाजिम से बीज उपचार करके ही इसकी बुवाई करें और रोपाई करने से पहले मिट्टी का शोधन करें।
जिसके लिए ट्राइकोड्रमा का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसमें करीब 5 किलो ट्राइकोडर्मा में गोबर की खाद मिलाकर खेत में अंतिम जुताई से पहले डाला जाता है, और फिर रोपाई की जाती है इससे मिट्टी, बीज, सब कुछ सही रहता है, तो रोग लगता ही नहीं है। लेकिन अगर रोग लग गया तो चलिए जानते हैं क्या करना है।
रोपाई के बाद के लिए समाधान जानें
कई ऐसे किसान है जिन्होंने बासमती धान की रोपाई कर दी है, तो ऐसे में अगर उन्होंने बीज उपचार, मृदा शोधन नहीं किया है तो हो सकता है कि बकानी के लक्षण दिखाई दे रहे हो तो, ऐसे में फिटकरी का उपचार कर लेना चाहिए। अगर शुरुआती अवस्था है तो रासायनिक उपचार न करके इस तरीके की जुगाड़ से भी फसल को बचा सकते हैं।
जिसके लिए 2 किलो फिटकरी लेकर उसे अच्छे से तोड़ लीजिए, बारीक पीसने के बाद खेत में पानी भरकर इसे छिड़क सकते हैं। एक एकड़ के लिए 2 किलो की मात्रा बेहतर मानी जाती है। फिटकरी से बकानी रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा जो पौधे किसानों को रोग ग्रस्त दिखाई दे रहे हैं, बहुत कम संख्या में है, तो उन्हें किसान उखाड़ कर फेंक सकते हैं ताकि यह समस्या बढे ना।