दलहन की खेती में किसानों को पहले से अधिक फायदा है, क्योंकि कीमत में बढ़ोतरी हो गई है। लेकिन बता दें कि दलहन फसलें लगाने से जमीन भी उपजाऊ होती है।
दलहन की खेती में फायदा
किसानों को दलहन फसलों की खेती में फायदा है। आपको बता दें कि जिस जमीन में दाल की खेती की जाती है, उसकी उर्वरता में सुधार होता है। नाइट्रोजन की प्राकृतिक आपूर्ति होती है। इसके अलावा दाल सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होती है, शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करती है।
साथ ही सरकार ने दलहन की कीमत 5650 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचा दी है, जिससे किसानों को अच्छा भाव मिल रहा है। 2019 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की नीति आने से लगातार दलहन की कीमतों में इजाफा हो रहा है।

किसानों से शत-प्रतिशत दाल खरीदेगी सरकार
बता दें कि देश में दाल की कमी होने के कारण सरकार दाल का आयात करती है, जिसमें भारी भरकम खर्च बैठता है। इसी वजह से सरकार चाहती है कि हमारा देश दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बने।
इसीलिए किसानों से अपील की जा रही है कि वे दाल की खेती करें। सरकार उनसे शत-प्रतिशत दलहन की उपज की खरीदी करेगी। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी किसानों से कहा कि वे अधिक से अधिक दलहन की खेती करें, और सरकार उन्हें अच्छा भाव देगी। दलहन फसलों की शत-प्रतिशत खरीदी की जाएगी।
रबी सीजन में कौन-सी दलहन फसलें लगाएं
रबी सीजन आ चुका है, तो ऐसे में किसानों का अब यह सवाल होगा कि इस समय कौन-सी फसल लगाई जाए। तो बता दें कि चना, मटर, मसूर जैसी दलहनी फसलें इस समय लगाई जा सकती हैं।
अक्टूबर से नवंबर में ये फसलें बोई जाती हैं, और मार्च से अप्रैल तक काटी जाती हैं। ये ठंडे मौसम की फसलें हैं, इन्हें सिंचाई की भी अधिक ज़रूरत नहीं पड़ती।

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