सुनिए मई में लगाइये ये फसल, अधिक पैदावार के साथ होगी तगड़ी कमाई, जानिये गर्मी में लगाई जानें वाली तीन तरह की फसल। जिससे सही में आप कर सके सही फसल की खेती।
सही समय में सही खेती
मौसम के अनुसार खेती करने पर ही किसानों को बढ़िया उपज मिलती है। इसीलिए आज हम जानेंगे कि गर्मियों में किसान कौन-कौन सी फसले लगा सकते हैं। जिसमें अभी मई महीना चल रहा है। इसलिए हम जानेंगे कि मई महीने में कौन-सी तीन प्रकार के फसलों की खेती कर सकते है। जिसमें किसानों को कितना समय लगेगा, उससे कितना मुनाफा होगा और उसे फसल की खेती करने से किसान को क्या फायदे हैं।
गर्मी में लगाई जानें वाली तीन तरह की फसल
नीचे लिखे तीन बिंदुओं के अनुसार जाने गर्मियों में कौन-सी फसलों की खेती करें किसान।
- सबसे पहले हम उन फसलों की बात कर लेते हैं, जिन्हे तैयार होने में तकरीबन 50-60 दिनों का समय लगता है। जिसमें किसान मक्के और ज्वार की खेती कर सकते हैं। वहीं अगर पशु पालन भी करते हैं तो संकर नेपियर घास की खेती कर सकते हैं। यह घास बेचकर भी किसान कमाई कर सकते हैं, और पशुओं को खिलाने के लिए भी काम आएगी। बता दे कि यह घास पशुओं के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होती है। इस तरह यह फसले किसानों को कम समय और कम खर्चे में अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। चलिए जानते हैं दो अन्य प्रकार की फसलों के बारे में जानते है।
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- अब हम कुछ ऐसी फसलों के बारें में जिन्हे समय तो ज्यादा लगता है लेकिन कम खर्चे में ज्यादा कमाई कर सकते है, और इसकी डिमांड भी साल भर बनी रहती है। दरअसल, हम हल्दी, अदरक और अरबी की खेती की बात कर रहे हैं। जिसमें हल्दी अदरक की खेती बड़े पैमाने पर करके किसान मालामाल हो सकते हैं, और अगर चाहे तो अन्य फसलों के साथ भी लगा सकते हैं। इससे एक साथ दो फसले तैयार हो जाएंगी। लेकिन इन्हें तैयार होने में तकरीबन 8 से 9 महीने लग जाते हैं। पर उनकी डिमांड भी साल भर रहती है। इसलिए यह मुनाफे का सौदा हो सकता है। लेकिन उनकी खेती करने के लिए किसानों को पानी की जल निकासी की व्यवस्था का ध्यान रखना होगा। साथ ही साथ यह भी देखना होगा कि जहां पर यह तीनों फसलें लगाई जा रही है वहां छाया रहे तभी इनका उत्पादन अच्छा होगा।
- वही जो किसान जायद की फसलों की खेती करना चाहते हैं तो इस समय सोयाबीन, अरहर, उड़द और मूंग दाल की खेती कर सकते हैं। जिसमें सोयाबीन की फसल को तैयार होने में अलग-अलग किस्मो के अनुसार समय अलग लगता है। लेकिन मुख्य रूप से 85 से 90 दिन का समय लगता ही है। इससे भी किसानों को फायदे हैं। इनके भाव भी धीरे-धीरे बढ़ते ही जा रहे हैं। कभी-कभी तो मंडियों में इनकी कीमत आसमान छूने लगती है।
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