गेहूं के किसान अगर नीलगाय से परेशान है तो आइये आपको एक जुगाड़ बताते हैं जिससे कमाई भी होगी और जंगली जानवरों से छुटकारा भी मिलेगा-
गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं जंगली जानवर
रबी सीजन आ गया है। अब किसान गेहूं की खेती करेंगे, जिसमें उन्हें जंगली जानवरों से भी फसल को बचाना पड़ेगा। यह भी एक बड़ी चुनौती है। रबी सीजन में सर्दी रहती है, जिससे रात के समय खेतों की रखवाली करना किसानों के लिए बहुत मुश्किल काम होता है। ऐसे में अगर रात के समय नीलगाय और जंगली जानवर खेत में आ जाते हैं, तो मेहनत एक बार में ही चली जाती है।
किसानों को गेहूं की फसल को नीलगाय जैसे जंगली जानवरों से बचाने के लिए यहां पर एक उपाय बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं इसके बारे में, जिसमें किसानों को खर्च नहीं बल्कि मुनाफा होगा।

खेतों के किनारे लगाएं यह फसल नीलगाय नहीं घुसेगी
किसान खेत के किनारों पर सूरजमुखी की खेती कर सकते हैं। मतलब, खेत की मेड़ है तो वहां पर सूरजमुखी के पौधे लगाए जा सकते हैं, या फिर खेत के थोड़े से हिस्से में, किनारों-किनारों पर आप सूरजमुखी के पौधे लगा सकते हैं। सूरजमुखी के फूलों की गंध तेज होती है, जिसके कारण नीलगाय जैसे जंगली पशु खेतों में घुसने का प्रयास नहीं करते। इसके पौधे गेहूं से बड़े भी होते हैं, जिससे यह एक तरह से प्राकृतिक बाड़ का काम करते हैं।

इस तरह आपको कोई तारबंदी नहीं करनी पड़ेगी, क्योंकि उसमें बहुत ज्यादा खर्च आता है और सभी किसान तारबंदी नहीं कर पाते। ऐसे में वे सूरजमुखी के पौधे किनारों पर लगा सकते हैं। फिर इसका तेल निकालकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे अतिरिक्त कमाई भी हो जाएगी। गेहूं के साथ-साथ दूसरी फसल भी मिल पाएगी। जहां पहले नीलगाय और अन्य जानवर खेतों में घुसकर गेहूं की फसल बर्बाद करते थे, वहां अब पूरी फसल सुरक्षित रहेगी। साथ ही, अधिक मुनाफा भी होगा।
इन दोनों फसलों की खेती का समय जानिए
किसान भाइयों, अगर गेहूं और सूरजमुखी की खेती के समय की बात करें तो रबी सीजन में गेहूं की खेती अक्टूबर और नवंबर में की जाती है। वहीं सूरजमुखी की बुवाई सितंबर से नवंबर के अंतिम सप्ताह तक की जा सकती है। यानि कि दोनों फसलों को आप एक साथ भी लगा सकते हैं।
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