Pea Farming Tips: मटर लगाएं, 3 महीने में 1 लाख रु कमाएं, मटर की ये वैरायटी तगड़ी पैदावार देती है।
Pea Farming Tips
मटर की खेती में किसानों को फायदा है। इसमें कम लागत में अधिक कमाई की जा सकती है। मटर की डिमांड सर्दियों में और ज्यादा होती है। मटर दो तरीके से इस्तेमाल में आता है, एक तो सब्जी में और दूसरा दलहन के तौर पर। जिससे किसानों को दोनों में फायदा है। इसके आलावा मटर की खेती किसानों के खेत उपजाऊ होते है। क्योकि मटर में राइजोबियम जीवाणु होता जिससे भूमि उपजाऊ हो जाती है। तब चलिए आज आपको कुछ बढ़िया किस्मों की जानकारी और लागत कमाई के बारें में भी बताएँगे।
मटर की ये वैरायटी तगड़ी पैदावार देती है
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार मटर की कई वैरायटी के बारें में जानें।
- सबसे पहले यहाँ पर हम वी एल की बात कर लेते है। किसान अगेती मटर – 7 (वी एल – 7)- की खेती करते है यह तो फायदा है। यह किस्म विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा द्वारा विकसित की गई है। इस वैरायटी का छिलका निकलने के बाद भी 42% दाना के साथ-साथ 10 टन प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन मिलता है। जिससे कमाई हो जायेगी।
- इसके आलावा आर्किल भी बढ़िया किस्म है। बता दे कि यह वेरायटी फ्रांस की है। अगर ताजा मटर बेचना है तो ये मटर लगाएं। संरक्षित करने के लिए भी बढ़िया है। इसकी फसल 60 से 65 दिन चुनने के लिए तैयार हो जाती है। जिसमें उत्पादन की बात करें तो हरी फली करीब 8 से 10 टन एक हेक्टेयर में मिलता है। जिससे हाथो-हाथ कमाई होती है।
- वहीं जवाहर मटर – 4 ( जे एम 4) की बात करें तो यह भी शानदार है। इसका विकास जबलपुर में संकर टी 19 और लिटिल मार्वल से उन्नत पीड़ी वरणों ने किया। इसकी फसल पहली तुड़ाई के लिए करीब 70 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी उत्पादन क्षमता एक हेक्टेयर में करीब 7 टन है।
- इन सबके आलावा पंत मटर – 2 (पी एम – 2) भी बढ़िया किस्म ही है। इससे भी 7 – 8 टन प्रति हैक्टेयर उत्पादन मिल जाता है। यह किस्म पंतनगर में संकर अर्ली बैजर व आई पी, 3 (पंत उपहार) से वंशावली वरण से विकसित हुई हैं। दो महीने में यह फसल पहली तुड़ाई के लिए तैयार रहती है।
- अगर किसान भाई एक हेक्टेयर से 90 से 100 क्विंटल उपज प्राप्त करना चाहते है तो पंत सब्जी मटर 5 लगा सकते है। यह किस्म प्रजाति चूर्णिल फफूंदी रोग से प्रतिरोधी होती है। यह भी दो महीने करीब 65 दिन में पहली तुड़ाई के लिए तैयार होती है।
- दो महीने में पहली तुड़ाई के लिए तैयार होने वाली जवाहर पी – 4 भी अच्छी किस्म है। इसे जबलपुर में प्रजाति छोटी पहाड़ियों के लिए विकसित किया गया है। यह किस्म चूर्णिल फफूंदी प्रतिरोधी और म्लानि सहिष्णु प्रजाति की है। अगर पहली चुनाई छोटी पहाडिय़ों में 60 दिन के बाद और मैदानों में 70 दिन के बाद शुरू होती है। छोटी पहाड़ियों में औसत फली उपज की बात करें तो करीब 4 टन एक हेक्टेयर में मिलता है। लेकिन मैदानों के किसानों इससे करीब 9 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है। जिससे लाभ होगा।
- आज की आखिरी किस्म पंत सब्जी मटर है। इस किस्म की फलियां लंबी होती है। इनमे करीब 8 से 10 बीज होते है। उत्पादन की बात करें तो यह किस्म एक हेक्टेयर में करीब 10 टन दे सकती है। यानि की किसानों बम्पर उत्पादन मिलेगा।
मटर की खेती में आमदनी
मटर की खेती करके किसान कम समय में मालामाल हो सकते है। इसकी फसल दो-ढाई महीने में तैयार हो जाती है। अधिक उत्पादन मिलने पर इसे लम्बे समय के लिए सरंछित रख सकते है। जिसमें कीमत की बात करें तो पिछले साल मटर 40-50 रुपये किलो भी गया है। लेकिन अगर किसान 30 रु किलो की कीमत भी पकडे तो 90 हजार से 1 लाख रु तक एक हेक्टेयर से कमा सकते है। जिसमें लागत करीब 20 हजार रु आएगी। इस तरह यहाँ पर किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है।