अगर आपने दुधारू पशु का पालन किया है और उन्हें हरा चारा दे रहे हैं तो आपके लिए बड़ी खबर है। आपको बता दे की चारा देने का एक ऐसा तरीका है जिससे पशुओं में तेजी से अफरा रोग फैल रहा है और इससे उनकी मृत्यु हो रही है जिससे पशुपालक को नुकसान हो रहा है। चलिए आपको अफरा रोग के बारे में बताते हैं-
पशुओं में अफरा रोग
दुधारू पशुओं का पालन करना कमाई का एक अच्छा विकल्प है और सरकार भी इसके लिए प्रोत्साहित कर रही है। विभिन्न प्रकार की सब्सिडी दे रही है। लेकिन आपको बता दे की दुधारू पशुओं के पालन में कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। जैसे कि ज्यादा दूध देने के लिए उन्हें हरा चारा खिलाना पड़ता है। लेकिन आपको बता दे कि इस समय हरा चारा खिलाने से एक रोग भी फैल रहा है। इसमें एक बात का अगर ध्यान रखा जाए तो इस रोग से बचाया जा सकता है।
आपको बता दे की अफरा रोग पशुओं को फैल रहा है। यह रोग अगर आम शब्द में समझे तो पशुओं को गैस बनती है। जिसकी वजह से कुछ समय बाद उनकी मृत्यु तक हो जाती है। बिहार के कई के पशुपालकों को यह समस्या देखने को मिली है। जिसका समाधान बहुत आसान है। चलिए आपको बताते हैं अफरा रोग से अपने पशुओं को कैसे बचाएं।
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अफरा रोग का कारण
दरअसल पशुओं में अफरा रोग एक ही तरह का हरा वरसीम चारा ज्यादा देने से हो रहा है। अगर सिर्फ वरसीम , छोटे अवस्था में पशुओं को खिला दिया जाता है तो उसे गैस बनती है और यह जहर की तरह काम करता है। इसलिए पशुओं को छोटी अवस्था का बरसीम चारा बस नही खिलाना चाहिए। क्योंकि इसमें सैफोलिन नामक एक केमिकल रहता है। जिसकी वजह से यह पशुओं के लिए नुकसानदायक हो जाता है। लेकिन इसका समाधान है। ऐसा नहीं है कि किसान इसे खिलाना ही बंद कर दे।
अफरा रोग के बचाव
जैसा कि हमने जाना कि अगर छोटी अवस्था में वरसीम चारा ही पशुओं को दिया जाता है तो अफरा नामक रोग की समस्या आ सकती है। लेकिन अगर इससे बचना चाहते हैं तो आपको मिश्रित हरा चारा देना पड़ेगा। मतलब की वरसीम के साथ-साथ नेपियर और राई आदि का चारा दे सकते हैं या अन्य कोई हरा चारा जो दो-तीन प्रकार का मिलाकर के पशुओं को देने से गैस की समस्या नहीं आती है और ना ही अफरा होता है। यानी की मिश्रित हरा चारा पशुओं के सेहत के लिए फायदेमंद होता है, एक ही तरह जैसे कि बरसीम ही बस उन्हें न खिलाएं।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।
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