बात सेहतमंद और हरी-भरी सब्जियों की हो और पालक की बात न की जाये ऐसा तो हो ही नहीं सकता। पालक की खेती में अच्छा-खासा प्रॉफिट है, तब जानिये पालक की खेती की खेती कैसे करनी है?
पालक की खेती साबित होगी एक लाभकारी व्यवसाय
पालक हमारे शरीर के लिए बहुत शक्तिवर्धक मानी जाती है। पालक की पत्तेदार सब्जी कई खनिजों से भरपूर होती है। इसलिए इसकी मांग साल भर बाजार में बनी ही रहती है। पालक की खेती करना आपके लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। क्योंकि इसकी फसल कम लागत वाली और मात्र 40 दिनों के भीतर ही तैयार हो जाती है। केवल अच्छी तरह से फसल का ध्यान रखकर आप पालक से बेहतर उत्पादन ले सकते हैं, और बाजार में इसे आसानी से 15-20 रुपए प्रति किलो बेच सकते हैं।
पालक की खेती का समय
अगर आपके पास पानी की उचित व्यवस्था है तो पालक की खेती आप सालभर में कभी भी कर सकते हैं, लेकिन इसकी खेती के लिए सबसे अच्छा महीना दिसंबर का होता है। ठन्डे वातावरण में पालक अच्छी पैदावार देती है। पालक की खेती के लिए जमीन समतल और मिट्टी अच्छी जल निकास वाली होनी चाहिए, जिसमें पानी जमा ना हो। यह फसल 15 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच अच्छी वृद्धि करती है।
पालक की प्रसिद्ध किस्में
पालक की मुख्य किस्में हैं :
- 1. पूसा हरित (Pusa Harit): यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई है और अत्यधिक उपज देने वाली है। यह जल्दी तैयार हो जाती है और इसकी पत्तियों का रंग गहरा हरा होता है।
- 2. ऑल ग्रीन (All Green): यह किस्म जल्दी से तैयार होने वाली है और बाजार में अधिक मांग वाली किस्मों में से एक है। इसके पत्ते चौड़े और हरे होते हैं।
- 3. जॉय चॉइस (Joy Choice): यह किस्म ठंडे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसकी पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं और यह अच्छी उपज देती है।
- 4. पूसा पालक (Pusa Palak): यह किस्म सूखे क्षेत्रों में उगाई जाने वाली किस्म है, इसकी पत्तियां मोटी और रसीली होती हैं।
- 5. बॉम्बे पालकः यह किस्म खासकर महाराष्ट्र और इसके आस-पास के क्षेत्रों में काफी प्रसिद्ध है। इसकी पत्तियां मोटी और स्वादिष्ट होती हैं।
- 6. हिसार सेलेक्शन 1 (Hisar Selection 1): यह किस्म हिसार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई किस्म है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है।
- 7. पूसा ज्योति (Pusa Jyoti): यह किस्म उच्च उत्पादन क्षमता वाली है और जल्दी बढ़ने वाली है। यह उच्च गुणवत्ता की पालक प्रदान करती है।
- 8. फिरोजाबाद सेलेक्शनः यह किस्म उत्तर भारत के कई हिस्सों में उगाई जाती है और इसके पत्तों का स्वाद बहुत ही अच्छा होता है।
- 9. वृंदावन (Vrindavan): यह किस्म विशेष रूप से शीतकालीन फसल के लिए उपयुक्त है और इसकी पत्तियां गहरी हरी होती हैं।
- 10. पीएनआर पालक 1 (PNR Palak 1): यह किस्म पंजाब नेशनल रिसर्च द्वारा विकसित की गई है और यह बेहतर उपज और गुणवत्ता प्रदान करती है।
कैसे करें जमीन तैयार और बिजाई?
पालक की खेती के लिए खेत की गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बनाया जाता है। जमीन को भुरभुरा करने के लिए, 3 से 5 बार जुताई करें। जुताई के बाद सुहागे से मिट्टी समतल करें, फिर अच्छी तरह सिंचाई करें। सिंचाई करने के बाद बिजाई के लिए, पंक्ति से पंक्ति 20 सैमी का फसल रखें और पौधों के बीच में 5 सेंटीमीटर का फासला रखें। ध्यान रखें कि बीज को 3-4 सेंटीमीटर गहराई में ही बोएं। इससे आपकी फसल की पैदावार में बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी।

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उचित खाद और कीट नियंत्रण से होती है अच्छी पैदावार
नाइट्रोजन : 40-50 किलो, फॉस्फोरस : 20-25 किलो और पोटाश : 20-25 किलो प्रति एकड़ में उपयोग करें। उर्वरक का छिड़काव तीन भागों में करें, पहली बार बुआई के समय, दूसरी बार 20 दिनों के बबाद और तीसरी बार 40 दिन बाद जब फसल तैयार हो जाए। इसके अलावा, जैविक खाद का उपयोग फसल की वृद्धि के लिए लाभकारी साबित होगा।
पालक में कई तरह के कीटों के लगने का खतरा बना रहता है इसके निपटान के लिए आप धानुका जैपेक, धानुका ईएम-1, यूपीएल लांसर गोल्ड कीटनाशक का उपयोग कर सकते हैं और अपनी पालक की फसल को अधिक लाभकारी बना सकते हैं।
पालक की कटाई का समय और प्रति एकड़ उत्पादन
पालक की कटाई बुआई करने के 30-40 दिन बाद शुरू की जा सकती है। पत्तियों को नरम और ताजा रखने के लिए सुबह या शाम के समय ही कटाई करना बेहतर होता है। कटाई करने के बाद पालक का भंडारण ठंडी जगह में करना जरुरी होता है, ताकि उसका ताजापन बरक़रार रखा जा सके।
अगर बात पालक के उत्पादन की करें, तो एक एकड़ से 100-120 क्विंटल तक का उत्पादन पालक से प्राप्त किया जा सकता है, जो पूरी तरह से फसल की किस्म और उसकी देखभाल पर निर्भर होता है।
अब आप भी उपयुक्त जानकारी का उपयोग कीजिए और पालक की खेती कमाइए अच्छी आमदनी।