पालना है ये 3 मुर्गी पालों, मुँह मांगी कीमत देंगे ग्राहक, ब्रॉयलर से कई गुना महंगी बिकती है, जानिये इनके नाम। जिससे पोल्ट्री फार्मिंग के बिज़नेस से कर सके अधिक कमाई।
मुर्गी पालन में कमाई
अंडा मुर्गी का बिजनेस करके आजकल अच्छी खासी कमाई की जा रही है। इस समय अंडा और मांस की डिमांड बढ़ती जा रही है। बॉडी के साथ-साथ सेहत बनाने के लिए और कुछ लोग तो रोजाना अंडा-मुर्गा खा रहे है और कई लोगो बेहद पसंद भी होता है। यानी कि यह एक डिमांड वाला बिजनेस है।
जिसमें अगर आप लंबे समय तक इस बिजनेस को चलाना चाहते हैं, और इससे कमाई करना चाहते है लेकिन नुकसान नहीं चाहते कि किसी भी तरह से घाटा हो तो नीचे बताई गई तीन मुर्गियों का पालन कर सकते हैं। क्योंकि इन मुर्गियों के पालन में मुनाफा ज्यादा है तो चलिए जानते हैं वह कौन सी तीन मुर्गियां है और इसके बाद हम यह जानेंगे कि ब्रायलर और इन मुर्गियों के पालन में क्या नुकसान-फायदा है।
इन 3 मुर्गियों में अधिक मुनाफा
मुर्गी पालन में लंबे समय तक बिना किसी घाटे के कमाई करने के लिए आपको सही नस्ल की मुर्गी का पालन करना चाहिए। जिसमें आपको बता दे कि कई ऐसे मुर्गी पालक है जो ब्रायलर के बजाय कड़कनाथ, सोनाली और वनराजा नस्ल की मुर्गियों का पालन कर रहे हैं। जिसमें सोनाली नस्ल की मुर्गी तकरीबन बन 3 महीने में तैयार हो जाती है। वही कड़कनाथ और वन राजा मुर्गियों को तैयार होने में चार से पांच महीना लग जाता है।
इसके बाद इन्हें बेंच कर कमाई कर सकते हैं। इन मुर्गियों के अंडे भी कीमती होते हैं। आपको बता दे कि इन मुर्गियों के मांस और अंडे सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होते हैं। जिसकी वजह से इनकी कीमत भी मिलती है। यह ब्रायलर से कई गुना ज्यादा महंगे जाते हैं। चलिए जानते हैं अगर आप ब्रायलर और इन मुर्गियां के बीच फायदा नुकसान जानना चाहते हैं तो वह कौन से पॉइंट है।
जानें ब्रॉयलर और इन मुर्गियों में फायदा और नुकसान
किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से पहले लोग सभी तरह से चीजों को परखते हैं। जैसे कि अगर मुर्गी पालन करना है तो वह सोचेंगे कि कौन-सी नस्ल की हम मुर्गी पाले जिसमें ज्यादा फायदा हो, समय भी कम लगे, तो अगर आप ब्रायलर और इन देसी नस्ल की मुर्गियों के पालन में सोच रहे हैं तो आपको यहां पर परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।
बता दे कि अगर कम समय में जोखिम के साथ पैसे कमाना चाहते हैं तो ब्रायलर मुर्गी का पालन कर सकते हैं क्योंकि यह बहुत कम समय में तैयार होती हैं, और बीमार पड़ती है। जबकि इन्हें बढ़ने में ज्यादा समय लगता है। लेकिन ब्रायलर मुर्गी में नुकसान होने के चांस ज्यादा होते हैं। जबकि इन देसी नस्ल की मुर्गियों को छोटी-मोटी बीमारियों का कोई असर नहीं होता है, जो सामान्य वायरस फैलते हैं उनका इनपर कोई असर देखने को नहीं मिलता है। जबकि ब्रायलर मुर्गियां बहुत जल्द बीमार होती है।
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