पाला से घट सकती है सरसों-गेहूं की पैदावार, जानिए पाला की मार से फसल बचाने के 3 उपाय

सर्दियों में किसानों को सरसों और गेहूं की फसल को पाला की मार से बचना होगा तो चलिए इस लेख में हम जानते हैं सर्दियों में किसानों को किन बातों का ध्यान रखना है और ठंड, पाला से सरसों गेहूं की फसल कैसे बचाएं।

पाला से सरसों-गेहूं की फसल को नुकसान

सर्दियों में रबी के सीजन में किसान सरसों, गेहूं जैसी आदि फसलों की खेती करते हैं। लेकिन जब सर्दी ज्यादा पड़ने लगती है, कोहरा पाला पड़ने लगता है, ओलावृष्ट होने लगती है तो ऐसे में किसानों को भारी नुकसान हो जाता है। जिसमें जरूरी नहीं है कि ओलावृष्टि से ही किसानों को नुकसान हो। नहीं पाला और कोहर से भी फसल कमजोर हो सकती है। पैदावार घट सकती है।

आपको बता दे कि जब शीतलहर और पाला पड़ने लगता है तो इससे पौधे की पत्तियां फूल पर सब पर असर पड़ता है। पत्तियां झुलस जाती है। फूल गिरने लगते हैं और दोनों का आकार छोटा हो जाता है। दोनों का विकास रुक जाता है। इसलिए इस लेख में हम जानेंगे कि कौन से सरल उपाय हैं, कुछ उपाय ऐसे हैं जो लंबे समय तक काम आएंगे। कुछ उपाय आपको रोजाना करने पड़ेंगे तो चलिए जानते हैं पाला से फसल बचाने के लिए किसान क्या-क्या कर सकते हैं।

पाला से फसल बचाने के 3 उपाय

नीचे लिखे तीन बिंदुओं के अनुसार जानिए सरसों और गेहूं के किसान सर्दियों में अपनी फसल को बचाने के लिए क्या कर सकते हैं। पाला कोहरा आदि से फसल को प्रभावित होने से कैसे बचा सकते हैं।

  • पाला-कोहरा से फसल बचाने का उपाय है कि खेतों के किनारे ऐसे पेड़ लगाए जिनसे शीतलहर खेतों के अंदर ना आ पाए। ठंडी हवा से फसल बचाने के लिए कपड़ा या बोरी का भी किसान इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे भी फसल को शीतलहर से बचाया जा सकता है। जिसके लिए वायु रोधी कपड़ा का इस्तेमाल करें। पेड़ों की बात करें तो बाबुल, शीशम जैसे कई ऐसे पेड़ है जिन्हे खेतों के किनारे लगाकर किसान इससे अलग कमाई कर सकते हैं और अपनी फसल को सर्दी से बचा भी सकते हैं।

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  • दूसरे तरीके की बात करें तो किसान घुलनशील गंधक का छिड़काव करके भी पाला से फसल को बचा सकते हैं। जिसमें गेहूं, सरसों, चना, आलू, मटर के किसान पाला से अपनी फसल को बचाने के लिए गंधक का छिड़काव कर सकते हैं। इससे फसलों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
  • तीसरे उपाय की बात करें तो सिंचाई भी एक जरिया है। जिससे जमीन के तापमान को गिरने से बचा सकते हैं। सिंचाई करने से ऊपरी सतह गर्म रहती है। यहां पर किसानों को हल्की सिंचाई पाला के समय करने से फायदा होता है। जब शीतलहर होती है उस समय भी हल्की सिंचाई कर सकते हैं। उन किसानों को हल्की सिंचाई से फायदा होता है। जिनके फसलों में फूल बन रहे हो या फल लग रहे हो दाने विकसित हो रहे हो तो वह लोग सिंचाई करते हैं तो पौधों की जड़ को पाला से बचाया जा सकता है।

इस तरह यहां पर सिंचाई, गंधक और पेड़, वायु रोधी कपड़ा आदि उपाय बताए गए हैं। इसके अलावा और वह किसान जो छोटे हैं और अपनी फसल को बचाना चाहते हैं ग्रीन नेट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन किसानों को यहां पर ध्यान रखना है अगर वह कपड़ा, ग्रीन नेट लगाने से फसल को ढक रहे हैं तो सुबह होते ही उसे निकालना है। क्योंकि धूप की भी जरूरत होती है और ढकना उस चीज से है जिससे फसलों को हल्की वायु मिल सके बिल्कुल बंधक न बने।

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