अगर प्याज की खेती से मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आइए बताते हैं कि कैसे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी की पत्नी कंचन गडकरी जी ने 1 किलो का प्याज उगाया है-
800 ग्राम से 1 किलो तक का एक प्याज
कई किसान प्याज की खेती करके अच्छी कमाई करते हैं, लेकिन कीमत अधिक तभी मिलती है जब प्याज का आकार बड़ा हो और वो दिखने में आकर्षक हो, उसकी क्वालिटी बेहतर हो, जिसके लिए यहां किसान को शानदार तकनीक बताने जा रहे हैं, आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की पत्नी कंचन गडकरी जी ने 800 ग्राम से 1 किलो तक के वजन के प्याज उगाए हैं, वो जैविक खेती करके।
नागपुर के धापेवाड़ा में उनका एक फार्म है, जिसका नाम भक्ति फार्म है, जहां उन्होंने प्याज की बेहतरीन खेती की है, तो आइए आपको बताते हैं कि उन्होंने कैसे प्याज उगाए हैं कि उनका वजन इतना ज्यादा है।
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कैसे बढ़ाये प्याज का वजन
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी ने एक्स पर अपने अकाउंट में एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें सारी जानकारी दी गई है। वीडियो में बताया गया है कि कंचन गडकरी जी ने किस तरह से प्याज की खेती की है-
- उन्होंने बताया कि प्याज की खेती मल्चिंग पेपर तकनीक से की गई है।
- जिसमें जैविक खाद डाली गई है।
- सबसे पहले उन्होंने खेत तैयार किया है।
- उसके बाद एक एकड़ में 2.5 किलो बीज डाले हैं।
- उन्होंने सेमिनस रॉयल सिलेक्शन के बीज डाले हैं।
- उनकी नर्सरी 45 दिन में तैयार हो गई।
- उसके बाद उन्होंने रोपाई की है।
- जिसमें बेड बनाया है और उसमें अच्छी बेसल खुराक डाली है।

- मिट्टी को उपजाऊ बनाया है।
- उसके बाद प्लास्टिक मल्च बिछाया है जो 25 माइक्रोन का है यह प्लास्टिक काला और सिल्वर रंग का है।
- डबल ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाई है जिसके जरिए वे फसल को समय-समय पर पानी और सूक्ष्म और जैव पोषक तत्व देते हैं।
- मल्चिंग पेपर में बिछा करके रोपाई की है।
- मल्चिंग पेपर के फायदे बता दे कि इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है, खरपतवार नहीं उगते, जिससे फसल अच्छी होती है और निराई-गुड़ाई का खर्चा भी बचता है.
- इसके अलावा मिट्टी का तापमान भी नियंत्रित रहता है.
- उन्होंने एक एकड़ में 24000 पौधे लगाए.
आइए अब जानते हैं कितना उत्पादन मिला।
1 एकड़ में कितना उत्पादन मिला
कंचन गडकरी जी ने प्याज की जबरदस्त खेती करके दिखाई है। जिसमें एक एकड़ में 12 से 13 टन उत्पादन मिला और खेती जैविक तरीके से की गई है जिससे फसल बेहतरीन है, पर्यावरण को कोई प्रदूषण नहीं होता. अगर किसान इस तरीके से खेती करना चाहते हैं और मल्चिंग और ड्रिप सिंचाई अपनाना चाहते हैं तो वे नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या बागवानी विभाग से संपर्क करके जानकारी ले सकते हैं. सरकार इस पर सब्सिडी भी देती है जिससे लागत कम होती है लेकिन आमदनी बढ़ती है.